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कमलनाथ मुख्‍यमंत्री होते तो आज किसानों का कर्जा माफ हो जाता!  कर्जमाफी जैसे कई फैसलों से कमलनाथ ने दी थी सौगातें

बीजेपी सरकार ने किसानों के हितों की अनदेखी की!

कर्ज में दलदल में फंसते जा रहे हैं प्रदेश के किसान

विजया पाठक वरिष्ठ पत्रकार लेखक।
मध्‍यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है। यहां की 70 फीसदी आबादी किसानी पर निर्भर है। इतनी बड़ी आबादी की आजीविका कृषि से चलती है। यही वजह रही कि 2018 में प्रदेश में आयी कमलनाथ की सरकार ने किसानों के हितों को लेकर कई महत्‍वपूर्ण फैसले लिए। तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री कमलनाथ जानते थे कि किसान ही प्रदेश के विकास की रीढ़ हैं। यदि किसान खुशहाल होंगे तो प्रदेश का हर नागरिक खुशहाल होगा। वो समझते थे कि किसानों की खुशहाली की सबसे बड़ी बाधा कर्जा थी। प्रदेश का हर किसान लाखों रूपये का कर्जदार था और अभी भी है। इस बाधा को दूर करने के लिए कमलनाथ ने पहली मीटिंग में ही किसानों की कर्जामाफी पर साईन किये। प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था के आधार स्तंभ किसानों को राहत देने के एक बड़े फैसले के साथ 05 जनवरी 2019 को नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में प्रदेश के किसानों के ऋण माफ करने का फैसला हुआ। देश में अब तक के इतिहास में किसी राज्य द्वारा किसानों के हित में लिया गया संभवत: ये पहला बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय था। 2018 में कांग्रेस सरकार बनते ही किसानों की कर्ज माफी शुरू कर दी गई और 27 लाख किसानों का कर्ज माफ भी कर दिया था। कमलनाथ यदि अपने शासन के पांच साल पूरे करते तो आज प्रदेश के सभी किसानों का दो लाख रूपये तक का कर्जा माफ हो जाता लेकिन किसानों का यह दुर्भाग्‍य ही था कि उनका शासन पूरा न हो सका। आज किसानों को भी लग रहा होगा कि यदि कमलनाथ होते तो हमें कर्ज से राहत मिल जाती।

किसानों की अनदेखी कर रही बीजेपी सरकार
प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिरते ही प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी। शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ की कर्जमाफी वाली योजना को बंद कर दिया। किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। फिर 2023 में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्‍व में बीजेपी की सरकार बनी। इन दोनों के कार्यकाल में आज तक किसानों की अनदेखी की जा रही है। कर्जमाफी के अलावा भी किसानों को कई परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। यूरिया की किल्‍लत, उत्‍पादों का सही दाम न मिलना, कीटनाशक के दामों में बढ़ौत्री जैसे बुनियादी मुददें हैं जिन पर सरकार का ध्‍यान ही नहीं दे रही है।

उपलब्धियों से भरा रहा कमलनाथ का शासन
कमलनाथ सरकार ने अपने शासन में विकास के नए कीर्तिमान गढ़े और कमजोर वर्गों को नई ताकत दी। कमलनाथ के नेतृत्व में ऐतिहासिक फैसले लिए। जिनकी वजह से प्रदेश को एक नई गति मिली।

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जय किसान ऋण माफी योजना:प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर किसानों का कर्ज माफ होगा, यह ऐलान 2018 विधानसभा चुनाव के 06 महीने पहले कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर कर चुके थे। वहीं उन्होंने चुनावी सभाओं में 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया। कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले किसान कर्ज माफी के आदेश पर दस्तखत किए। हालांकि कमलनाथ सरकार ने पहले 50 हजार तक के 20 लाख 10 हजार 690 किसानों का कर्जा माफ किया। कमलनाथ सरकार ने घोषणा की थी कि किसानों का 02 लाख तक का कर्ज माफ किया जाएगा लेकिन खजाने की हालत कमजोर होने के कारण कमलनाथ को कर्ज माफी की प्रक्रिया चरणबद्ध चलानी पड़ी। कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी के दूसरे चरण की शुरुआत की थी जिसमें 50 हजार से लेकर एक लाख तक का किसानों का कर्जा माफ किया जा रहा था, जिनकी संख्या करीब 12 लाख थी।

पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण:प्रदेश की आधी से अधिक आबादी पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया गया। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी गई।
हाईटेक गौशाला निर्माण: चुनाव के वक्त कमलनाथ ने उन योजनाओं पर ज्यादा फोकस किया था, जिनको लेकर बीजेपी सियासत करती रहती है। कमलनाथ ने वचन दिया था कि वह प्रदेश में एक हजार आधुनिक गौशालाओं का निर्माण करेंगे। इस कड़ी में उन्होंने प्रदेश में 300 स्मार्ट गौशाला बनाने की शुरुआत की।

ऊर्जा के क्षेत्र में एतिहासिक फैसले: बिजली उपभोक्ताओं को भी मंत्रिमंडल ने एक नई सौगात दी। कुल 100 यूनिट तक की खपत पर 100 रुपये तक बिजली बिल देने, 150 यूनिट बिजली जलने पर 50 यूनिट पर निर्धारित बिजली दर लेने और 100 यूनिट पर 100 रुपये का फिक्स चार्ज लेने का फैसला लिया गया। इससे गरीबों के साथ ही मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली। साथ ही दस हॉर्स पावर तक के कृषि उपभोक्ताओं की विद्युत बिल राशि को आधा करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए इंदिरा किसान ज्योति योजना लागू की गई।

आदिवासियों को संरक्षण, सम्मान: आदिवासी वर्ग के हितों का संरक्षण करते हुए तेंदूपत्ता संग्रहण दर प्रति मानक बोरा दो हजार से बढ़ाकर 2500 रुपए करने का निर्णय लिया गया। तेंदूपत्ता मजदूरी और बोनस राशि का भुगतान नकद करने का भी निर्णय हुआ। आदिवासी संस्कृति के देव स्थानों के संरक्षण के लिए उनका जीर्णोद्धार शासन द्वारा करने का निर्णय हुआ। आदिवासी भाइयों को ऋण से पूरी तरह मुक्ति दिलाने के लिए साहूकारी ऋण को माफ करने का फैसला हुआ।

कन्यादान योजना: मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत शिवराज सिंह के कार्यकाल में विवाह योग्य कन्या के लिए शादी के समय सरकार द्वारा 28 हजार दिए जाते थे। कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही इस राशि को 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार कर दिया।

सातवें वेतन आयोग को मंजूरी: कमलनाथ सरकार ने अध्यापक और संविदा शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की मंजूरी दी। साथ में सालों से लंबित पड़ी तबादला नीति भी बनाई। संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। कई विभागों में संविदा कर्मचारी नियमित कर दिए गए।