ब्रेकिंग
घरेलू विवाद मे पत्नि ने पति की फावड़े से काटकर की हत्या ! पत्नि के चरित्र पर शंका करने से उपजे विवाद... इजराईल ईरान जंग: अमेरिका के युद्ध विराम प्रस्ताव को ईरान ने स्वीकार कर लिया ! ईरान के विदेश मंत्री स... उपभोक्ता आयोग का आदेश: 4 किसानों को मिलेंगे फसल बीमा राशि के 4.50 लाख रूपये Aaj ka rashifal: आज दिनांक 24 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे खातेगांव में "अंजुमन बैतुलमाल न्यास" द्वारा कैरियर गाइडेंस कैंप का आयोजन, सैकड़ों विद्यार्थियों ने ल... टिमरनी: 2 पंचायत सचिवों को सूचना का अधिकार में जानकारी नहीं देना पड़ा भारी ! राज्य सूचना आयोग ने ठोक... हरदा: स्टेशन सौन्दर्यीकरण व यात्री सुविधा विस्तार के लिये हटाया गया अतिक्रमण चाकूबाजी में घायल युवक की इलाज के दौरान हुई मौत, परिजनो ने कलेक्ट्रेड कार्यालय के बाहर शव रखकर किया ... हरदा: मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग ने जिले के प्रशासनिक अमले की बैठक ली नपा के द्वारा बुलडोजर की कार्यवाही गरीबों के साथ अन्याय है। हरदा विधायक डाॅ. दोगने ने की जिला प्रशा...

वैशाख मााह की अमावास्या कल, दान से मिलती है पितरों को तृप्ति

हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या पर इस दिन कई तरह के धार्मिक कार्य यानी श्राद्ध, तर्पण, पूजा-पाठ और दान किए जाते हैं। ग्रंथों के अनुसार इस तिथि पर कालसर्प दोष निवारण और शनि दोष शांति के लिए पूजा की जाती है। इस बार ये पर्व 22 अप्रैल बुधवार को है। कहीं कहीं पंचांग भेद होने से कहीं 23 अप्रैल को भी ये पर्व मनाया जाएगा।

  • काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार हिंदू कैलेंडर की गणना में अमावस्या तीसवीं तिथि होती है। यानी कृष्णपक्ष का आखिरी दिन अमावस्या तिथि कहलाता है। इस तिथि पर सूर्य और चंद्रमा का अंतर शून्य हो जाता है। इसलिए इन 2 ग्रहों की विशेष स्थिति से इस तिथि पर पितरों के लिए की गई पूजा और दान का विशेष महत्व होता है।

वैशाख अमावस्या

वैशाख माह की अमावस्या पर पितरों की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस पर्व पर पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध करना चाहिए। ये सब संभव न हो तो इस तिथि पर पितरों की तृप्ति के लिए व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए और इस दिन अन्न एवं जल का दान करना चाहिए। वैशाख महीने की अमावस्या को कई जगहों पर सत्तू का दान भी दिया जाता है।  इसलिए इसे सतुवाई अमावस्या भी कहा जाता है।

वैशाख अमावस्या पर पितृ तृप्ति के लिए कर्म 

घर पर ही पानी में तिल डालकर नहाएं।

इस पर्व पर चावल बनाकर पितरों को धूप दें।

सुबह पीपल के पेड़ पर जल और कच्चा दूध चढ़ाएं।

पितरों की तृप्ति के लिए संकल्प लेकर अन्न और जल का दान करें।

ब्राह्मण भोजन करवाएं या किसी मंदिर में 1 व्यक्ति के जितना भोजन दान करें।

बनाए गए भोजन में से सबसे पहले गाय फिर कुत्ते और फिर कौवे के लिए हिस्सा निकालें।

- Install Android App -