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रोहिंग्या घुसपैठियों को लोकर UNHRC ने भारत को लगाई फटकार

जिनेवाः भारत में अवैध रूप से घुसे 7  रोहिंग्या घुसपैठियों को वापस म्यांमार भेजने पर  संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था UNHRC ने भारत को फटकार लगाई है। शरणार्थियों की पैरोकार इस संस्था ने डर जताया है कि म्यांमार में इन रोहिंग्या मुसलमानों को सजा का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उस देश की सेना पर पहले से ही मुस्लिम अल्पसंख्यकों के नरसंहार का आरोप है।UNHRC का आरोप है कि भारत ने पहले से चेताए जाने के बावजूद यह कदम उठाया है।

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UNHRC के प्रवक्ता एंद्रेज माहेसिक ने जिनेवा में संवाददाताओं से कहा कि भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने के आरोप में 2012 में जेल भेजे गए इन सातों रोहिंग्या मुसलमानों के प्रत्यर्पण से पहले संयुक्त राष्ट्र ने इन सातों के म्यामांर पहुंचने पर इनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। UNHRC ने इस बात पर भी चिंता जताई कि उनकी अपील को भारतीय प्रशासन ने नजरंदाज कर दिया। साथ ही भारत पर यह आरोप भी लगाया कि उन्हें कानूनी प्रावधानों के तहत सरकारी वकील भी मुहैया नहीं कराया गया।

उन्होंने कहा कि UNHRC प्रशासन से म्यांमार में सातों मुसलमानों की वापसी पर उनके साथ गलत होने की आशंका पर भी सफाई मांगती रही।  उन्होंने कहा कि यूएन संस्था का मानना है कि सातों रोहिंग्या को न तो वकील दिया गया। उन्हें जेल भेजने संबंधी प्रक्रिया का हिस्सा भी नहीं बनाया गया और भारत में रहने की उनकी दलीलों को भी नहीं सुना गया।इससे पहले मंगलवार को नस्लभेद पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत तेंदाई एच्यूम ने भारत को चेतावनी दी थी कि भारत दमन के अंतरराष्ट्रीय कानूनों को तोड़ने का खतरा उठा रहा है। उनके मुताबिक किसी शरणार्थी या जेल में बंद कैदी को किसी ऐसे देश में भेजना जहां उसे नुकसान हो सकता है, अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।