मकड़ाई एक्सप्रेस 24 भोपाल : जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की डिवीजन बेंच में लगभग 15000 बीएड डिग्री वालों की नियुक्तियां निरस्त करने के लिए प्रस्तुत की गई याचिकाओं पर करीब 2 घंटे तक बहस चली और सभी पक्षों के वकीलों की दलीले खत्म हो गई है। अब मा. उच्च न्यायालय ने अंतिम सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी है। मामले की जानकारी देते हुए अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि दिनांक 7 जुलाई 2022 को पारित अंतरिम आदेश के प्रवर्तन के दौरान, मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग तथा जनजातीय कार्य विभाग में कुल 28000 से अधिक नियुक्तियों में से लगभग 15000 से अधिक बीएड डिग्री धारी को प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई है।
अब नियम क्या कहता है –
अधिवक्ता श्री ठाकुर ने कहा कि जबकि सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 11 अगस्त 2023 को अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि बीएड की डिग्री प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति के लिए अमान्य है। यदि इन्हें नियुक्त किया जाता है तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21.। के तहत प्रदत्त शिक्षा का अधिकार सहित शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। इस प्रकार की नियुक्ति कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के विद्यार्थी जिनकी उम्र 6 से 14 साल के बीच में है, उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन होगा।
प्रायमरी कक्षाओ के लिए डीएलएड का प्रशिक्षण –
उक्त छात्रों के लिए सिर्फ डीएलएड एलिमेंट्री कोर्स धारको को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसलिए एनसीटीई द्वारा उक्त पद के लिए निर्धारित योग्यता वाले परिपत्र 26.6.2018 को राजस्थान हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है, तथा उक्त परिपत्र दिनांक 28.6.2018 के अनुरूप किसी भी राज्य मे प्राथमिक शिक्षकों क़ी जो भी नियुक्तियां क़ी गई हैं वो सभी असंवैधानिक हैं।