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MP News: बुरहानपुर में जिला बदर के विरोध में हजारों आदिवासी पहुंचे क्लेक्ट्रेड कार्यालय, सामाजिक कार्यकर्ता अंतराम अवासे को किया था जिला बदर

बुरहानपुर : हाल ही में युवा आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता अंतराम अवासे के खिलाफ झूठे और फर्जी मामलों के आधार पर जिला बदर आदेश पारित किया गया।, जिसके विरोध में जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में बुरहानपुर के आदिवासियों ने बुरहानपुर कलेक्टर कार्यालय पर मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया ।

पिछले साल हुई अवैध वन कटाई के बारे में प्रशासन को सबसे पहले शिकायत कर कटाई पर तुरंत रोक लगाने की मांग उठाने वाले अंतराम अवासे के खिलाफ जिला प्रशासन ने जिला बदर आदेश पारित कर शासन प्रशासन का आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने लाया है ।

बुरहानपुर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले अंतराम अवासे जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता के रूप में वन अधिकार कानून, शिक्षा का अधिकार कानून, पेसा कानून जैसे कानून एवं आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के बारे में क्षेत्र में जागरूकता फैलाना का भी काम करते आ रहे हैं । अंतराम अवासे के खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही में लगाए गए सभी आरोप न केवल झूठे है, बल्कि इन आरोपों के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य भी पेश नहीं किए गए । अवैध वन कटाई में प्रशासन के लिप्त होने पर सवाल उठाने के बाद, उसी प्रशासन द्वारा आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता के खिलाफ चलाया गया हास्यास्पद प्रकरण से साफ है कि शासन प्रशासन अक्टूबर 2022 से चली 15000 एकड़ की अवैध वन कटाई और लकड़ी तस्करी में पूरी तरह से लिप्त रहा है । इस आदेश के खिलाफ जिसके खिलाफ संगठन द्वारा कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी, और जिले में हो रहे भ्रष्टाचार और अन्याय के ख़िलाफ़ अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रहेगी।

आदिवासियों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया –

शासन-प्रशासन आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के बजाए, ग्राम सभा द्वारा विकास और अपने कानूनी अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे आदिवासियों को दबाने के लिए ही सक्रिय होती है। एक और शासन प्रशासन द्वारा घर घर बिजली और नल कनेक्शन के बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं, वही आज भी आदिवासी फलियों में न ही बिजली पहुंची है, न ही नल कनेक्शन। कई आदिवासी मोहल्लों में या तो स्कूल ही नहीं या मास्टर नहीं, या स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर है। जिले के आदिवासी न केवल अपने मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, ब्लकि फसलों का सही भाव और गाँव में रोजगार ना होने के कारण अपने गांव और अपने प्रदेश से उजड़ कर दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर है। जो शासन प्रशासन आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित न कर सके वह अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं सामाजिक कार्यकर्ता को जिला बदर करने का क्या हक बनता है?

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ज्ञापन में यह भी घोषणा की गई कि कानून की बात करने वाले अंतराम अवासे और हमारे अन्य साथियों पर हो रहे हमलों से हम दबने वाले नहीं है, हम सब अंतराम हैं। संगठन अत्याचार के खिलाफ और अपने संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई से पीछे हटने वाले नहीं है, चाहे शासन प्रशासन कितना भी दमन और अत्याचार करे। जो सरकार जागरूक और संगठित आदिवासियों को अपना दुश्मन मान ले, वह सरकार हमारी नहीं। मध्य प्रदेश सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है, यह साफ़ हो चुका है ।

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