लाडली बहना योजना, जो पहले मध्य प्रदेश में शुरू हुई थी, ने धीरे-धीरे कई राज्यों में राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव डाला है। इस योजना के तहत गरीब और वंचित महिलाओं को हर महीने नकद सहायता दी जाती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिलती है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश में भी 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले ऐसी कोई योजना शुरू हो सकती है।
लाडली बहना योजना की शुरुआत
मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल थी, जिसमें महिलाओं को हर महीने ₹1250 की आर्थिक मदद दी जाती है। यह योजना महिलाओं के जीवनस्तर को ऊपर उठाने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम थी। इस मॉडल की सफलता के बाद महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों ने भी इसे अपनाया।
महाराष्ट्र में, चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसी तर्ज पर योजना लागू की। इसमें महिलाओं को हर महीने ₹1500 की नकद सहायता दी जाती है। चुनाव परिणामों पर नजर डालें, तो यह योजना गरीब और पिछड़े तबके की महिलाओं को आकर्षित करने में कारगर साबित हुई।
उत्तर प्रदेश में संभावनाएं
उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना जैसी कोई स्कीम वहां के चुनावी समीकरणों को बदल सकती है। यूपी की राजनीति जातिगत समीकरणों पर टिकी हुई है। ऐसे में यदि लाडली बहना जैसी योजना शुरू होती है, तो यह दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक महिलाओं को बीजेपी की ओर आकर्षित कर सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के 10 साल पूरे होने के साथ ही यह कदम आधी आ1बादी के लिए एक बड़े बदलाव का प्रतीक बन सकता है। यह योजना विपक्षी दल, खासकर अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) गठजोड़ के वोट बैंक पर सेंध लगा सकती है।
अन्य राज्यों में योजनाओं का असर
दिल्ली की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना का ऐलान किया। इस योजना के तहत 18 साल से ऊपर की वंचित महिलाओं को हर महीने ₹1000 दिए जाते हैं।
पंजाब की बेबे नानकी लाडली बेटी कल्याण योजना
पंजाब सरकार ने गरीब परिवारों की बेटियों के लिए बेबे नानकी लाडली बेटी कल्याण योजना शुरू की। इस योजना के तहत उन परिवारों को, जिनकी सालाना आय ₹30,000 से कम है, ₹1250 प्रति महीने की मदद दी जाती है।
हरियाणा और यूपी में पुराने ऑफर्स का हाल
हरियाणा और यूपी में पहले भी महिलाओं के लिए कुछ योजनाएं लाई गईं, लेकिन वे अधिक प्रभावी नहीं रहीं। इसका मुख्य कारण था सही योजना और लक्षित वर्ग तक पहुंच की कमी।
चुनावी रणनीति में भूमिका
लाडली बहना योजना जैसे मॉडल सिर्फ सामाजिक कल्याण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये चुनावी रणनीति का भी अहम हिस्सा बन चुके हैं। इन योजनाओं से गरीब और वंचित वर्ग, खासकर महिलाएं, राजनीतिक दलों के करीब आती हैं। महाराष्ट्र और झारखंड में इन योजनाओं ने निर्णायक भूमिका निभाई है।
क्या यूपी में होगा बदलाव?
यदि उत्तर प्रदेश में लाडली बहना जैसी योजना 2027 के चुनाव से पहले लागू की जाती है, तो यह न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है, बल्कि भाजपा के लिए एक मजबूत चुनावी हथियार भी बन सकती है। महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण को लेकर यूपी में यह योजना एक नई मिसाल कायम कर सकती है।
लाडली बहना योजना का प्रभाव सिर्फ सामाजिक सुधार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्यों की राजनीतिक दिशा को भी तय कर रही है। यदि यूपी में इसे लागू किया जाता है, तो यह बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में यूपी की सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है।
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