अगर आपने भी कहीं से लोन लिया है, तो आपको पता होगा लोन लेने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है आपका सिविल स्कोर अगर आपका सिविल स्कोर खराब रहेगा या फिर कम रहेगा तो आपको लोन मिलने में परेशानी होगी। लेकिन वही अगर आपका सिविल स्कोर अच्छा है और हाई है तो आपको लोन देने से कोई भी मना नहीं कर सकता है। आखिर यह सिबिल स्कोर क्या है? और इसको लेकर आरबीआई ने क्या नहीं नियम बनाए हैं? लोन लेने वाले व्यक्ति को इन नए नियमों से क्या फायदा होगा? सारी जानकारी आज के आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं।
CIBIL SCORE क्या है?
सिबिल स्कोर एक तरह से आपका फाइनेंशियल की रिपोर्ट कार्ड है। लोन लेते समय सबसे पहले आपसे सिविल स्कोर मांगा जाता है या फिर लोन देने वाली कंपनियां आपका आदर और पैन कार्ड के इस्तेमाल से आपका सिविल चेक करते हैं। सिविल बैंक या फिर लोन देने वाली निजी कंपनियों को आपके फाइनेंशियल बिहेवियर के बारे में जानकारी देता है अपने पिछले कितने लोन ले रखे हैं आपका किस बैंक से लोन चल रहा है अपने लोन समय से जमा किया है या फिर नहीं सारी जानकारी आपके सिविल स्कोर के जरिए प्राप्त की जा सकती है और कोई भी बैंक जब आपको लोन देना चाहती है तब मैं आपसे आपकी फाइनेंशियल बिहेवियर की जानकारी प्राप्त करने के लिए सिविल स्कोर का इस्तेमाल करती है इस सिबिल स्कोर के बेस पर ही बैंकों द्वारा आपको लोन प्रोवाइड किया जाता है अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा रहेगा तो आपको लोन मिलने में आसानी होगी लेकिन वही आपका सिविल स्कोर खराब होता है तो आपको बैंक या फिर निजी कंपनी द्वारा लोन देने में समय लगाया जाता है या फिर कभी-कभी लोन देने से मना ही कर दिया जाता।
CIBIL SCORE को लेकर RBI के 5 बड़े नियम –
आरबीआई ने सिबिल स्कोर को लेकर 5 बड़े नियम बनाए हैं यह नियम क्या है पूरी नियमों से लोन लेने वाले व्यक्ति को क्या फायदा होगा चलिए जानते हैं।
1. ग्राहक को देनी होगी सिविल चेक करने की सूचना –
आरबीआई द्वारा बनाए गए इस नियम के अनुसार अगर आप लोन लेने जाते हैं तो लोन देने वाली किसी भी कंपनी या फिर बैंक शाखा को आपको सिविल चेक करने की सूचना देनी होगी इसके लिए बैंक या फिर निजी कंपनियां एसएमएस या ईमेल का इस्तेमाल कर सकती हैं। आरबीआई के अनुसार लोन लेने वाले ग्राहक को उसके सिविल चेक करने की जानकारी होनी चाहिए। जिसे सभी बैंकों लोन देने वाली निजी कंपनियों को मनाना होगा।
2. लोन रिक्वेस्ट रिजेक्ट करने की वजह बतानी होगी –
अगर आप किसी बैंक में लोन लेने जाते हैं और बैंक आपसे यह कहकर लोन देने से मना कर देता है कि आपकी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कर दिया गया है तब आपको यह पता नहीं होता है कि आखिर आपकी रिक्वेस्ट रिजेक्ट किस कारण से हुई है लेकिन अब आरबीआई के इस नए नियम के अनुसार किसी भी बैंक या फिर लोन देने वाली कंपनियों को अपनी ग्राहक की लोन रिक्वेस्ट रिजेक्ट करने की वजह बतानी होगी आरबीआई के अनुसार ग्राहक को यह जानने का हक है कि उसकी लोन रिक्वेस्ट किस कारण से बैंक या फिर कंपनियों द्वारा रिजेक्ट की गई है।
3. ग्राहकों को देनी होगी फ्री में फूल क्रेडिट रिपोर्ट –
आरबीआई के इस नए नियम के अनुसार लोन देने वाली कंपनी को या फिर बैंक को अपने ग्राहकों को 1 साल में एक बार फुल क्रेडिट रिपोर्ट देनी होगी जिससे ग्राहक अपनी क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सके।
4. डिफाल्टर घोषित करने से पहले ग्राहक को देनी होगी जानकारी –
आरबीआई के नए नियम के अनुसार अगर बैंक का कोई ग्राहक डिफॉल्टर्स की श्रेणी में आ रहा है तो उसे डिफाल्टर रिपोर्ट करने से पहले बैंक या फिर लोन प्रोवाइड करने वाली कंपनियों को अपने ग्राहक को इसकी सूचना देनी होगी इसके लिए कंपनियां ग्राहक को एसएमएस या ईमेल के जरिए सूचना दे सकती है जिससे ग्राहक डिफाल्टर होने से पहले सूचना प्राप्त कर सके।
5. 30 दिन में हो शिकायत का समाधान –
आरबीआई के इस नियम के अनुसार बैंक को अपने ग्राहक की किसी भी शिकायत पर 30 दिन के अंदर निदान करना होगा। ग्राहक की किसी भी शिकायत पर 30 दिन से ज्यादा होने पर बैंक पर जुर्माना लगाया जाएगा।
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