harda news : पूर्व विधायक दोगने ने कृषि मंत्री कमल पटेल पर लगाये गंभीर आरोप, चारुवा गुप्तेश्वर मंदिर पर करना चाहते है कब्जा, विधायक प्रतिनिधियों को सदस्य बनाने बना रहे दवाब
मकड़ाई समाचार हरदा। गुप्तेश्वर मंदिर चारूवा एक ट्रस्ट के माध्यम से वर्ष 1925-26 से संचालित हो रहा है जिसका रजिस्ट्रेशन 1955 में कराया जाकर, शासन के निर्देशानुसार ट्रस्ट के नियमों से संचालित किया जा रहा है। परंतु कुछ वर्षो से कृषि मंत्री कमल पटेल की नजर मंदिर की ओर थी, उन्होंने मंदिर ट्रस्ट में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया व पुरानी ट्रस्ट के सदस्यों की बगैर सहमति के अपने लोगों को मंदिर के ट्रस्ट का चार्ज दिलवा दिया था, परंतु पुनः कोर्ट के आदेश से उन्हें हटाकर पुराने ट्रस्टीयों को चार्ज मिल गया।
विगत 4 वर्षों से मंदिर के ट्रस्ट का संचालन पुराने ट्रस्टीयों के द्वारा किया जा रहा था। जिसमें उनके द्वारा करीब 45 लाख रुपए की बचत जमा की गई है। परंतु कुछ दिनों से कृषि मंत्री कमल पटेल के द्वारा फिर से मंदिर में राजनीति की जा रही है। एवं अपने पार्टी कार्यकर्ताओं एवं उनके विधायक प्रतिनिधियों को नए सदस्यों के रूप में जोड़कर मंदिर पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। उक्त आरोप जारी प्रेस विज्ञप्ति में पूर्व विधायक आर के दोगने ने कृषि मंत्री कमल पटेल पर लगाये है। पूर्व विधायक दोगने ने कहा कि जबकि यह केस कोर्ट में विचाराधीन है। फिर भी मंत्री जी के द्वारा बार-बार अपने लेटर पैड पर नए सदस्य बनाने के लिए एसडीएम को निर्देशित कर दबाव बनाया जा रहा है।
श्री दोगने ने कहा कि चारवा के गुप्तेश्वर मंदिर में हरदा जिले के लोग ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लोगों की आस्था है। एवं वहां कई वर्षों से मेला लगता आ रहा है और आज तक कोई शिकायत नहीं आई। परंतु कृषि मंत्री कमल पटेल के पावर में आते ही मंदिर में उनकी दखल-अंदाजी शुरू हो गई। एवं वर्तमान में मंत्री जी के निर्देश पर ही प्रशासनिक अधिकारी भी गलत कार्य कर रहे हैं। एवं दिनांक 21/02/2022 को कृषि मंत्री स्वयं नए सदस्यों के साथ मंदिर में उन्हें चार्ज दिलवाने पहुंच गए। जो कि उनकी पद की गरिमा के विरुद्ध है। दोगने ने कहा कि हम इस संबंध में हरदा कलेक्टर से मिलकर शिकायत करेंगे एवं जांच की मांग करेंगे। मंदिर में जो भी कार्यवाही चल रही है वह मंदिर के ट्रस्ट के नियमों के अनुसार नहीं है। और हमारा कृषि मंत्री कमल पटेल से निवेदन है कि वह लोगों की आस्था के केंद्र मंदिर को तो छोड़ दें।