हरदा: 20 सूत्रीय मांगों को लेकर हरदा सरपंच संघ ने किया चक्काजाम, सीएम के नाम जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन! जाने क्या है। मुख्य मांगे
हरदा। शुक्रवार को हरदा मुख्य मार्ग पर जिला सरपंच संघ ने बीस सूत्रीय मांगों को लेकर चक्काजाम किया। जमकर नारेबाजी की अपनी विभिन्न मांगों लेकर धरना प्रदर्शन किया। हरदा शहर के इंदौर रोड पर लगभग 15 मिनिट चक्काजाम रहा। इस दौरान पुलिस प्रशासन मौजूद रहा। उसके बाद सरपंच संघ जिला अध्यक्ष ललित पटेल के नेतृत्व में जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम 20 सूत्रीय मांगी को लेकर ज्ञापन सौंपा।
मालूम हो कि इन दिनों मध्यप्रदेश की सभी 23 हजार ग्राम पंचायतों के सरपंच, उपसरपंच, पंच एवं त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के सभी निर्वाचित प्रतिनिधि अपने अधिकारों के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं ।
जिसका एक मात्र उद्देश्य गांवों को आंत्मनिर्भर और सशक्त यनाना है। इसी संघर्ष को गति देने के लिए राष्ट्रीय सरपंच संघ ने एक आंदोलन की रूप रेखा तैयार की है। मीडिया से चर्चा में हरदा सरपंच संघ जिलाध्यक्ष ललित पटेल ने बताया कि पूरे प्रदेश में प्रदेश की सभी पंचायतों के सरपंच हमारी मांगों को लेकर हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर धरना देकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के नाम पर एक ग्राम पंचायत सचिव को सौपेंगे ।
यदि हमारे गई मांगों को ज्ञापन सौंपने के बाद 5 दिन तक पूरा नही किया जाता है तब हमारे अगले कदम में 18 अक्टूबर को पंचायत स्तर पर मुख्य सड़कों पर चक्का जाम किया जाएगा। सरकार द्वारा हमारी मांगों पर फिर भी विचार नहीं किया जाता है तो राष्ट्रीय सरपंच संघ स्तर पर रेल रोको और जेल भरो आंदोलन करेगी।
पंचायती राज को सशक्त करने की दिशा में यदि मध्यप्रदेश सरकार हमारे तमाम प्रयासों के बाद भी अपना रुख स्पष्ट नही करती है तो राष्ट्रीय सरपंच संघ देश की राजधानी दिल्ली में एक बड़े आंदोलन करने पर बाध्य होगे ।
हमारी 20 सूत्रीय मांगे :-
1 मनरेगा को मूलरूप में लाये जाने के लिए केन्द्र सरकार से आप सहयोग मांगे यदि आपको सहयोग नहीं मिलता है तो आप राज्य की गई रोजगार गारंटी योजना बनाकर मजदूरी का भुगतान सामग्री का भुगतान की पारदर्शी एवं सुदृढ व्यवस्था स्थापित करे कि सरपंच ग्रामीण अधोसंरचना के छोटे मोटे कार्य स्वतंत्र रूप से कर सकें तथा मजदूरों को तत्काल मजदूरी उपलब्ध करा सकें।
2. – ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए स्वसहायता समूह के लाभार्थी सदस्यों को मनरेगा से जोड़कर हितग्राही मूलक योजनाओं को बढ़ावा दिया जाये जैसे के पशु शेड, गुमुर्गी शेड, बकरी शेड, सुअर पालन शेड के निर्माण कराये जायें ताकि ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था मजबूत हो।
3. म.प्र. शासन द्वारा ग्राम पंचायतों को 25 लाख रूपये के अधिकार दिये गये लेकिन तकनीकी स्वीकृति जिला स्तर में परेशानी होती इसलिए इसे जनपद पंचायत स्तर पर ही किया जाये और प्रशासनिक स्वीकृति का सरलीकरण किया जाये।इसमें राशि १ लाख रूपये प्रतिवर्ष पंचायत को दी जाने की मांग की जावे।
4. ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था कृषि के रोजगार के नये अवसर निर्मित करने के लिए प्रत्येक ग्राम. पंचायत में दो खेत सड़क योजना चालू की जावे।
5. ग्राम पंचायत विकास निधि गठित कर सरपंच निधि बनाई जावे जिससे जरूरत पड़ने पर अचानक कोई भी कार्य किये जा सकें। यदि किसी के घर आगजनी होने पर प्राकृतिक आपदा में तत्कालिक आर्थिक सहयोग हो सके इसलिए इसका गठन अतिआवश्यक होगा।
विचार करेगा।
6 ग्राम पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृद्ध बनाने के लिये नई आर्थिक गतिविधियों के संचालन से जोड़ा जाये।
7 पैसा एक्ट के लागू होने से ग्राम पंचायत एवं ग्राम सभाओं में टकराव न हो इसकी समीक्षा एवं निदान हो।
8. सरकारी कर्मचारियों की तरह सरपंचों एवं पचों का 20 लाख रू. का जीवन बीमा की व्यवस्था की जावे एवं न्यूनतम पेंशन 2000/- रू. की जावे।
9. चैकडेम, एनीकट की आवश्यकता प्रत्येक पंचायत में हो परंतु जंगल को खत्म कर जो बनाये जा रहे है इसमें प्रत्येक एनीकट चेकंडेम का भुगतान 25 प्रतिशत तीन वर्ष बाद किया जावे।
क्योंकि जो पेड़ काटे जा रहे है वहां पर नये वृक्ष लगाये जावे और उनका रखरखाव तीन वर्ष तक ग्राम पंचायत करे उसके उपरांत भुगतान को यदि पूर्ण भूगतान होता है तो जनपद पंचायत के सीईओ को भी दोषी माना जाये।
10. 15 वित्त राशि की डीपीआर एक बार बनाकर उपयंत्री सहायक यंत्री के हस्ताक्षर होने पर इसे की टी. एस. माना जावे जिससे बार बार टी.एस. के नाम पर कभीशन नहीं देना पड़े और उपयंत्रियों की परेशानी से सरपंच यच सके इसलिए मूल्यांकन ग्राम पंचायत की ग्राम सभा के द्वारा सामाजिक मूल्यांकन का ही प्रावधान पूर्ववत् जैसा ही किया जाए ।
11. टाइड अनटाइड व्यवस्था समाप्त करने के लिये राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकर को प्रस्ताव भेजे।
12. ग्राम स्वराज अधिनियम 193 की चारा 40 को अंतर्गत सरपंच को गोटिस गनरेगा के कार्यों में न दिया जाये। नोटिस देने का अधिकार कलेक्टर को होना चाहिए। पद से पृथक करने का अधिकार राज्यपाल महोदय के अनुमोदन से किया जाए, क्योंकि यह जनता द्वारा चुना हुआ जनप्रतिनिधि है।
13 ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 22 के अंतर्गत जनपद पंचायतों में बैठक रोस्टर के हिसाब से सरपंचों को नही बुलाया जाता है इसके लिए सभी जनपदों को आदेश करने की व्यवस्था करें।
14. रोजगार सहायक व सचिव की सी.आर. लिखने का अधिकार सरपंच को होना चाहिए और उनका चेतन और अवकाश के अधिकार पूर्ण रूप से ग्राम पंचायत को दिये जाये जिसके कार्य सुचारू रूप से कर सके। रोजगार सहायक का स्थानांतरण नीति जल्द लागू की जाये।
15 म.प्र. शासन द्वारा जारी पत्र दिनांक 01.07.2024 को वापिस लिया जाये। पंचायतों में अधिकतम कार्यों की सीमा 20 को हटाया जाये।
16 सी एम. हेल्पलाईन (181) पर झूठी शिकायत करने पर शिकायतकर्ता घर एफ.आई. आर. दर्ज होनी चाहिए।
17. प्रधानमंत्री आवास व मुख्यमंत्री आवास प्रत्येक पंचायत में दिए जावे।
18. सरपंच का मानदेय रू. 15000/- प्रतिमाह दिया जावे।
19. उपसरपंचों को 3000 रु प्रतिमाह भानदेय दिया जाये।
20. सरपंचों के विरूद्ध अपशब्द / जेल भेजने की धमकी व अपमानजनक बयान देने वाले मंत्री गौत्तम टंटबाल (राज्यमंत्री, कौशल विकास ए
वं रोज़गार) का तत्काल प्रभाव से मंत्री पद से इस्तीफा लिया।