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प्रदेश में कितने शस्त्र लायसेंस धारक है विभाग को नही है जानकारी प्रदेश मे अंर्तसुरक्षा की दृष्टि से विभाग की लापरवाही

प्रदेश मे कितने लोगो के पास शस्त्र लायसेंस है उनका बैकग्राउंड क्या है किसी अपराधिक व्यक्ति को लायसेंस जारी हुआ तो उसका निरस्तीकरण हुआ या नही अवैध शस्त्र के संबंध किस प्रकार की कार्यवाही की गई।अवैध शस्त्रो को लेकर कितनी गंभीरता है इन सारे सवालो के जबाब प्रदेश के रक्षा विभाग के पास नही है अगर प्रदेश में किसी प्रकार दंगा फसाद या सांप्रदायिक माहौल खराब होने पर वैध और अवैध हथियारो के दुरुपयोग होने की संभावना होती हालात तो ये कि लोग शादी ,ब्याह,पार्टी की जीत की खुशी मे हर्ष फायर करते उसमें भी मौत हुई है।

मकडाई एक्सप्रेस 24 भोपाल। देश प्रदेश की अंर्तसुरक्षा का भार गृह विभाग के पास होता है। जो किसी भी राज्य का सबसे प्रमुख विभाग होता है।यह प्रदेश की सुरक्षा व कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए इसे चौकस होना जरुरी है मगर ऐसा दिखाई नही पड़ रहा है। मध्यप्रदेश गृह विभाग के पास कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले मामलो की जानकारी का अभाव है।

मौजूदा हालात संवेदनशील

आज भारत और पाकिस्तान में तनाव के हालात सुरक्षा की दृष्टि कितने लोगो के पास वैध और अवैध शस्त्र है उनके पास आवश्यक लायसेंस और शस्त्र रखने के पुख्ता कारण है या नही इन सब की जानकारी विभाग के पास होना चाहिए ।सुरक्षा की दृष्टि से आत्म रक्षार्थ दिए जाने वाले शस्त्र लाइसेंस भी विभाग का एक प्रमुख काम है।

 

यह बात बताते हैरानी हो रही कि विभाग के पास प्रदेश कुल कितने शस्त्र लायसेंस धारक है। प्रदेश मे जिलेवार संख्या कितनी है। हर वर्ष कितने लोगो लायसेंस जारी किया है।ऐसी जानकारी विभाग के पास नही जो की बहुत गंभीर बात है।

जिले से लेनी होगी जानकारी

आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार कानून अंतर्गत विभाग से जब इस बारे में जानकारी मांगी गई तो उसने हाथ खड़े कर दिए। कहा गया-यह तो हर जिले से अलग-अलग लेनी होगी।

विभाग के अवर सचिव अन्नू भलावी कहते हैं-हम शस्त्र लाइसेंस के जिले व वर्षवार आंकड़ें तैयार नहीं करते। जिलों से ही यह जानकारी ली जा सकती है।

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यूआईएन नंबर नही तो शस्त्र अवैध।

शस्त्र लायसेंस को लेकर साल 2016 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नए नियम तय किए।प्रत्येक शस्त्र लाइसेंस धारक को यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी यूआईएन लेना अनिवार्य है। इसी के आधार पर देश में शस्त्र लाइसेंस का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार किया जाता है। यूआईएन नंबर के बिना संबंधित शस्त्र को अवैध माना गया है।

यूआईएन नंबर अपडेट नही

बताया जाता है कि शस्त्र लाइसेंस धारकों के यूआईएन अपडेट किए जाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साल 2018 से अब तक राज्य शासन को कई पत्र लिखे,लेकिन प्रदेश के अधिकांश जिलों में अब तक इस काम को पूरा नहीं किया जा सका। ऐसे में प्रदेश में बिना यूआईएन वाले शस्त्र वैध या हैं अवैध,मप्र गृह विभाग यह बता पाने की स्थिति में नहीं है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,मप्र में शस्त्र लायसेंस धारकों की संख्या करीब 2.85 लाख हैं,लेकिन ये सिर्फ वे हैं जो अपने लाइसेंस पर यूआईएन नंबर अपडेट करा सके। लाइसेंस का यूआईएन नहीं होने पर हथियार को अवैध माना गया है। इनके अलावा राज्य में अवैध हथियारों के कारोबार का भी समय-समय पर खुलासा होता रहा है।

नए लाइसेंस पर अघोषित रोक

मप्र में नए शस्त्र लाइसेंस बनने पर अघोषित रोक है। यह काम बीते साल सितंबर से बंद है। इसके चलते गृह विभाग में शस्त्र लाइसेंस की मांग रखने वालों के आवेदनों का अंबार लग गया है। अपने प्रकरण के निराकरण की मांग को लेकर कई आवेदक आए दिन मंत्रालय के फेरे भी लगाते हैं।

कब होगा विभाग पेपरलेस,,
विभाग मे पेपरलेस काम सिर्फ दिखावा बन गया है हां फाइलों का अंबार लगा है।
ई-फाइल व्यवस्था के तहत गृह विभाग को भी पेपरलेस किए जाने की कवायद जारी है। इसकी गति अंत्यत धीमी है।दरअसल,विभाग मुख्यालय के पास न तो पर्याप्त संख्या में कम्प्यूटर हैं, न ही स्कैनर।कर्मचारियों की कमी व काम का दबाव।इस पर आए दिन व कभी-कभी पूरे दिन चलने वाली बैठकों का दौर। इसके चलते विभाग का काम जल्द आनलाइन हो सकेगा,इसकी संभावना कम है।