भागवत कथा में हुआ शिव-पार्वती विवाह,बारात में जमकर थिरके श्रद्धालु, दुख के समय सबसे उपयुक्त आश्रय ईश्वर का है – आचार्य नारायण साकल्ले
हरदा – नार्मदीय ब्राह्मण धर्मशाला में शनिवार को भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक आचार्य नारायण साकल्ले ने राजा परीक्षित को दिए श्राप की कथा सुनाई,उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित को कलयुग के प्रभाव के चलते त्रुटि करने पर ऋषि से श्राप मिला।ऋषि ने राजा परीक्षित को सातवें दिन मृत्यु होंने का श्राप दिया इस दौरान परीक्षित को शुकदेव जी ने मार्ग बताया।शुकदेव मुनि ने राजा को सात दिन भागवत कथा सुनाई।कथा वाचक ने कहा कि दुख के समय सबसे उपयुक्त आश्रय ईश्वर ही है।इसलिए मनुष्य को सदैव अच्छे कर्म के साथ भगवान की भक्ति करना चाहिए।उन्होंने सद्गुण, रजो गुण,तमोगुण का रामायण की कथा से उदाहरण दिया।कथा के दौरान शिव पार्वती विवाह की कथा सुनाई गई।वहीं भोलेनाथ की बारात निकली।
इस दौरान श्रद्धालु जमकर थिरके।व्यासपीठ से गाये गए श्री कृष्ण भजन एवं भोलेनाथ के भजनो से वातावरण भक्तिमय हो गया।भागवत कथा में आज श्री कृष्ण जन्म,राम जन्म की कथा होगी।महाआरती के पहले सर्व ब्राह्मण समाज संगठन, भुआणा सेवा संगठन के सदस्यों ने व्यासपीठ का सम्मान कर आशीर्वाद लिया।आयोजक दीपक शुक्ला ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर 1 से कथा शुरू होगी,कथा ,13 नवंबर तक चलेगी।उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से कथा में उपस्थित होने का आग्रह किया है।कथा के दौरान भोपाल,इंदौर,जबलपुर,खंडवा,टिमरनी,खिरकिया,सिराली से श्रद्धालु पधारे।कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।