मकड़ाई एक्सप्रेस 24 इटारसी । सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में चूरना रेंज की डबरादेव बीट में 26 जून को युवा बाघ मृत अवस्था में मिला, जिसका सिर काटकर शिकारी ले गए थे। दुर्भाग्य की बात है कि जिस चूरना रेंज में शिकार के बाद मृत बाघ मिला, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में चूरना रेंज की डबरादेव बीट में 26 जून को युवा बाघ मृत अवस्था में मिला, जिसका सिर काटकर शिकारी ले गए थे। दुर्भाग्य की बात है कि जिस चूरना रेंज में शिकार के बाद मृत बाघ मिला, पिछले दिनों सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बाघ का सिर काटकर शिकार की घटना को लेकर वन्य प्राणी विशेषज्ञ अजय दुबे ने अनुसंधान पर सवाल उठाए हैं।
इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष और सचिव को पत्र भेजकर उन्होंने कार्रवाई की मांग की है। बाघ का शिकार करने वाला शिकारी अभी फरार है।दुबे ने पत्र में कहा कि भारत में सर्वाधिक बाघों की संख्या रखने वाले राज्य मप्र में बाघों की मौत विशेषकर शिकार की घटनाएं लगातार जारी हैं। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों के संरक्षण सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के साथ एनटीसीए की है, बाघ शिकार के बाद उसके सिर को काटकर ले जाने की घटना की विधि अनुसार जांच की मांग की गई है।
तस्कर फरार – जांच का विषय है कि पेट्रोलिंग और गौर शिफ्टिंग प्रक्रिया के बावजूद शिकारी कोर एरिया चूरना में कैसे सफलता पूर्वक शिकार कर सिर काट कर ले गए।दुबे ने आरोप लगाया कि एसटीआर के कुछ लोग वीआईपी पर्यटन और इको सेंसेटिव जोन में निर्माण कार्य में रुचि रखते हैं। एसटीआर में बाघों की सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ समन्वय के लिए बनी टाइगर सेल भी सुप्तावस्था में है। 26 जून को बाघ का शव श्रमिक को मिला, लेकिन प्रकरण को 30 जून तक दबाया गया। इसका प्राथमिक सूचना प्रतिवेदन घटना के बाद एनटीसीए और वन्य मुख्यालय भोपाल को भेजा गया, जिसमें घटना स्थल पर महत्वपूर्ण सबूत प्रभावित हुए और संवदेनशील जानकारी पर कार्रवाई में देरी हुई, यह निर्धारित एसओपी का गंभीर उल्लंघन है। प्रकरण में क्षेत्र संचालक कृष्णमूर्ति ने प्रतिवेदन में बाघ का शिकार बताया, जबकि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जेएस चौहान ने बाघ की प्राकृतिक मौत के बाद सिर काटने की बात कही।