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खिरकिया: 19 वर्ष बीते लेकिन ,सूचना का अधिकार की जानकारी देने वाला बोर्ड, जनपद पंचायत खिरकिया में आज भी नही लगा

सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 19 साल पहले लागू किए गए सूचना का अधिकार कानून काे सरकारी नुमाइंदे कमजाेर करने में लगे हैं

●समय बीतने के साथ ही कानून धारदार बनते हैं, लेकिन आरटीआई कानून काे लगातार कमजाेर करने की काेशिश….

 

हरदा/ नियम कानून के नाम पर ,अपने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष अच्छा प्रदर्शन, परफॉर्मेंस देने के उद्देश्य से और खुद की वाह-वाही करवाने के लिए कुछ तानाशाही ,हिटलर प्रवृत्ति के

अधिकारी अपने अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारियों का ,काम के नाम पर ख़ून चूसने से तनिक भी परहेज नहीं करते हैं ।

वह बेचारे कर्मचारियों को तो 36-36 योजनाओ की जिम्मेदारी स्टॉफ कम होने के नाम पर कम देकर रखते है,l।

 

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वह इनसे दिन तो दिन रातो में भी काम लेते हैं ,पर जब बात इन स्वयंभू अधिकारियों की आती है तो यह नियम कानून को ताख में रखकर मनमानी करते दिखाई पड़ते हैं वह चाहते हैं कि उनके द्वारा किया गया काला पीला किसी के सामने नहीं आए और यह शासन प्रशासन के द्वारा दी जाने वाली राशि ,योजनाओं का मने माने तरीको से संचालन कर राशि का खुद ही बंदर बाट करते रहे।

 

इनकी सेटिंग इतनी जबरदस्त होती है के यह शासन के द्वारा समय- समय पर जनहित ,जनकल्याण से सबंधित चलाए जाने वाले अभियानों में लगने वाली सामग्री विवाह सम्मेलनो में दी जाने वाले उपहार की सामग्री हो,या फिर पौधेरोपण करने के नाम पर पौधे खरीदने की बात या फिर झंडे खरीदना हो इस प्रकार की सामग्री जो लोकल मार्केट में मिलने वाले रेट से भी कई गुना अधिक मूल्य देकर घटिया वैरायटी में भोपाल जैसे बड़े शहरो से मौटा पर्सेंटेच लेकर अपने अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारियों को मजबूर करके ख़रीदवाते हैं।

 

जबकि उससे कम कीमत में जिले में भी वही चीजे मौजूद हैं मिल जाती है ।लेकिन यह खुद को ज्ञान का समंदर मानने वाले स्वयंभू अधिकारियों का क्या कहना ,यह जिस स्थान पर भी सेवा देते वहा इनके चर्चे इनके जाने के बाद भी।इनको जानने वाले लोगो और साथ मे काम करने वाले कर्मचारियों के मध्य खूब सुने जा सकते हैं ,यह व्यक्तियों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने में भी परहेज नही करते हैं।

 

, ऐसा ही मामला खिरकिया जनपद पंचायत में देखने को मिला है जहा एक कथित आर टी आई कार्यकर्ता द्वारा उनकी स्वंय कि आर टी आई पर की गई विभाग द्वारा कार्यवाही से सम्बंधित जानकारी मांगी गई थी,इनकी पुर्व में लगाई गई आरटीआई में जनहित से सम्बंधित कुछ जानकारी जनपद पंचायत खिरकिया से मांगी गई थी,लेकिन यहा मौजूद लोक सूचना अधिकारी,अपील अधिकारी की मनमानी इस कदर हावी है के यह इस महत्वपूर्ण एक्ट को भी हवा में उड़ा रहे हैं दिनांक 09/12/2024 को मांगी गई जानकारी अब तक नही दी गई ।

और ना ही कोई पत्राचार किया गया।सबसे बड़ी बात तो यह के एक्ट को लागू हुए 19 वर्ष के आसपास होने को हैं ,लेकिन इसके बाद भी आज तक जनपद में RTI सबंधित सूचना बोर्ड तक देखने को तक नही मिल रहा हैं ।अब ऐसे में इन अधिकारियों को जानकारी को सार्वजनिक करने से किस बात का भय हैं यह एक बड़ा सवाल है?