ब्रेकिंग
हरदा: जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई संपन्न: आगामी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती को लेकर विस्तार से च... हरदा: 20 वर्षीय युवक ने खाया जहरीला पदार्थ, इंदौर रैफर ले जाते समय नेमावर में हुई मौत !  नर्मदा नदी के इस घाट पर छोटू पटेल और उनकी टीम अमावस्या पूर्णिमा सहित अन्य त्यौहारों पर करती है। विशे... Kheti kisani harda: डी.ए.पी. खाद आपूर्ति एवं सोयाबीन फसल का सर्वे तत्काल कराया जावे :- हरदा विधायक ड... Coast Guard Bharti 2024: इंडियन कोस्ट गार्ड में नई भर्तियाँ, 10वीं पास के लिए सुनहरा मौका! Rabi Crops MSP: सरकार ने किया रबी फसलों के MSP में बढ़ोतरी, किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी MPPSC Exam 2022 Interview: राज्य सेवा परीक्षा के इंटरव्यू 11 नवंबर से होंगे शुरू, 29 अक्टूबर से एडमि... PM Kisan Beneficiary List 2024: सिर्फ इन किसानो को मिलेंगे 2000 रुपए, लाभार्थी सूचि में जल्दी देखे अ... Petrol Price Today: आज का पेट्रोल-डीजल रेट: राज्य में फ्यूल की नई कीमतें, जानें आपके शहर में ताजा दा... Ayushman Card List 2024: आयुष्मान कार्ड की लिस्ट हुई जारी, 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज, यहां चेक करे...

Mp News: हाई कोर्ट ने संभागायुक्त व कलेक्टर पर ठोंका 25-25 हजार का जुर्माना, जिला बदर की कार्रवाई मनमानी पाते हुए की निरस्त ।

जबलपुर : हाई कोर्ट ने जिला बदर की कार्रवाई के मामले में गुण-दोष के आधार पर आदेश पारित न करने की गलती को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ संभागायुक्त व कलेक्टर सीधी पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। साथ ही जिला बदर की मनमानी कार्रवाई को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि इस मामले में महज लिखित लाइनों के आधार पर आदेश पारित करने की गलती की गई है। यह रवैया कानून की दृष्टि में उचित नहीं है। लिहाजा, जुर्माना राशि याचिकाकर्ता को प्रदान की जाए। सरकार इस राशि की वसूली संबंधित अधिकारियों से करने स्वतंत्र है।

- Install Android App -

दरअसल, सीधी निवासी शिवसेना के नगर अध्यक्ष विवेक पांडे ने जिला बदर की कार्रवाई के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 18 सितंबर को जिला कलेक्टर ने उनके विरुद्ध जिला बदर का आदेश पारित किया था। जिसके विरुद्ध उन्होने संभागायुक्त के समक्ष अपील की थी। संभागायुक्त ने भी राजनीतिक प्रभाव के कारण उनकी अपील निरस्त कर दी। जिला बदर की कार्रवाई उसके विरुद्ध छह अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के आधार पर की गई थी। उसके विरुद्ध अंतिम अपराध वर्ष 2020 में दर्ज हुआ था।

याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से दलील दी गई कि मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम-1990 की धारा-पांच में साफ लिखा है कि बल व हिंसा का प्रयोग व भारतीय दंड संहिता-1860 के अध्याय 5, 12, 16, 17 या धारा 506 व 509 के तहत दंडित अपराध या दुष्प्रेरण के आरोपित के विरुद्ध खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध किसी ने गवाही नहीं दी। जिसका कारण याचिकाकर्ता का भय बताया गया। इसी आधार पर कलेक्टर ने उसके विरुद्ध जिला बदर का आदेश पारित कर दिया। साफ है कि कलेक्टर ने दिमाग न लगाते हुए सिर्फ कागज में लिखी लाइन के आधार पर आदेश पारित कर दिया, जो कि कानूनी की दृष्टि में उचित नहीं है। संभागायुक्त ने भी दायर अपील को निरस्त कर दिया।