ब्रेकिंग
ईरान से सुरक्षित निकाले गए 110 छात्र आज पहुंचेगें दिल्ली उप सरपंच पति पर आरोप प्रौढ़ शिक्षा केंद्र की भूमि पर कब्जा कर बनाई रातों रात दुकान, मिठाई वाले को कि... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 19 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे हंडिया: गांजा तस्करी करते एक आरोपी गिरफ्तार – 1.296 किलोग्राम मादक पदार्थ एवं मोबाइल जप्त टिमरनी: कांग्रेस संगठन ऐसे ऊर्जावान साथियों की टीम बना रही है जो जनहित के मुद्दों को अंजाम तक पहुंचा... जल जीवन मिशन की सभी पेयजल योजनाएं शीघ्रता से पूर्ण करें कलेक्टर श्री जैन ने बैठक में दिये निर्देश खेती किसानी हरदा: मूंग उपार्जन के लिए 60 केन्द्रों पर 5 जुलाई तक करा सकते हैं पंजीयन अगले 4 दिन में पूरे मध्य प्रदेश पर होगा मानसून! अधिकांश जिलों में तेज बारिश का येलो अलर्ट जारी दुल्हन के बेडरूम से हुई आहट से दूल्हे की नींद टूटी ! तलाशी में सन्दूक मे मिला प्रेमी उसके मुंह पर का... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 18 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे

Mp News: हाई कोर्ट ने संभागायुक्त व कलेक्टर पर ठोंका 25-25 हजार का जुर्माना, जिला बदर की कार्रवाई मनमानी पाते हुए की निरस्त ।

जबलपुर : हाई कोर्ट ने जिला बदर की कार्रवाई के मामले में गुण-दोष के आधार पर आदेश पारित न करने की गलती को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ संभागायुक्त व कलेक्टर सीधी पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। साथ ही जिला बदर की मनमानी कार्रवाई को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि इस मामले में महज लिखित लाइनों के आधार पर आदेश पारित करने की गलती की गई है। यह रवैया कानून की दृष्टि में उचित नहीं है। लिहाजा, जुर्माना राशि याचिकाकर्ता को प्रदान की जाए। सरकार इस राशि की वसूली संबंधित अधिकारियों से करने स्वतंत्र है।

- Install Android App -

दरअसल, सीधी निवासी शिवसेना के नगर अध्यक्ष विवेक पांडे ने जिला बदर की कार्रवाई के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 18 सितंबर को जिला कलेक्टर ने उनके विरुद्ध जिला बदर का आदेश पारित किया था। जिसके विरुद्ध उन्होने संभागायुक्त के समक्ष अपील की थी। संभागायुक्त ने भी राजनीतिक प्रभाव के कारण उनकी अपील निरस्त कर दी। जिला बदर की कार्रवाई उसके विरुद्ध छह अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के आधार पर की गई थी। उसके विरुद्ध अंतिम अपराध वर्ष 2020 में दर्ज हुआ था।

याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से दलील दी गई कि मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम-1990 की धारा-पांच में साफ लिखा है कि बल व हिंसा का प्रयोग व भारतीय दंड संहिता-1860 के अध्याय 5, 12, 16, 17 या धारा 506 व 509 के तहत दंडित अपराध या दुष्प्रेरण के आरोपित के विरुद्ध खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध किसी ने गवाही नहीं दी। जिसका कारण याचिकाकर्ता का भय बताया गया। इसी आधार पर कलेक्टर ने उसके विरुद्ध जिला बदर का आदेश पारित कर दिया। साफ है कि कलेक्टर ने दिमाग न लगाते हुए सिर्फ कागज में लिखी लाइन के आधार पर आदेश पारित कर दिया, जो कि कानूनी की दृष्टि में उचित नहीं है। संभागायुक्त ने भी दायर अपील को निरस्त कर दिया।