ब्रेकिंग
Today news: प्रदेश मे आज अति भारी बारिश का अलर्ट,  किस जिले में कब होगी बारिश पढ़िये थाने मे ले जाकर टीटीई से मारपीट कर लिखवाया राजीनामा Aaj ka rashifal: आज दिनांक 3 जुलाई 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे कलेक्टर श्री जैन ने ग्रामीण क्षेत्र अबगांवखुर्द, भुन्नास व बागरूल का किया भ्रमण स्कूल, आंगनवाड़ी भवन,... बीजेपी की अधिकृत फेसबुक आईडी से खेला जा रहा पूर्व मंत्री कमल पटेल की तस्वीर वाली पोस्ट का लुका छिपी ... मध्य प्रदेश के 17 जिलों में बहुत भारी बारिश का अलर्ट!  मुरैना ग्वालियर टीकमगढ़ में बाढ़ जैसे हालात ... MP BIG NEWS: महिला सरपंच मंजु यादव के घर से 40 तोला सोना 1 करोड़ नगदी की डकैती मध्‍य प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष बने हेमंत खंडेलवाल Aaj ka rashifal: आज दिनांक 2 जुलाई 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे एक अद्ना सा चूहा क्या कर सकता है।चूहों ने कानपुर मे सड़क खोखली कर दी पहली बारिश मे सड़क धंसी

निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठोर है!   इस दिन फलाहर तो दूर जल तक ग्रहण नही करते।

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 धर्म अध्यात्म। हमारे देश में धर्म आध्यात्म की जड़ें बहुत गहरी है। विशेषकर सनातन धर्म मे हर माह कई व्रत आते है। जिनमें निर्जला एकादशी को महत्वपूर्ण माना गया है।इस दिन भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी पूजा की बिना कुछ खाय पिए होती है।

 

निर्जला एकादशी के बारे मे बताया जाता है इसका व्रत रखने से साल भर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य एक साथ मिल जाता है।इसलिये जो लोग साल भर एकादशी व्रत नही करते और पुण्य का लाभ लेना चाहते हैं। वह इस व्रत को कर सकते है। इसे ‘भीम एकादशी’ भी कहा जाता है।

निर्जला मतलब जल भी नही ग्रहण होगा

निर्जला एकादशी को सबसे कठोर व्रत माना गया है इस दिन अन्न, फल, बल्कि जल तक त्याग दिया जाता है। इसलिए इसे सबसे कठिन और तपस्वी व्रतों में गिना जाता है। निर्जला एकादशी शरीर, मन और आत्मा, तीनों की परीक्षा है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु की पूजा विधि और महत्व

निर्जला एकादशी 2025 में 6 जून, शुक्रवार को मनाई जा रही है। ये व्रत विशेष रूप से पांडव भीम द्वारा शुरू किया गया था, जो खाने-पीने के शौकीन थे और बाकी एकादशियों का पालन नहीं कर पाते थे। इसलिए उन्होंने सिर्फ निर्जला एकादशी रखी, ताकि सभी एकादशियों का पुण्य मिल सके।

- Install Android App -

भगवान विष्णु की होती पूजा

इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। फिर तुलसी के पत्तों के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो पर जल चढ़ाएं। पीला फूल, चंदन, पंचामृत, और नारियल चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और दिनभर उपवास रखें। रात में जागरण और अगले दिन पारण करके व्रत पूर्ण करें। इस व्रत का महत्व इतना है कि इससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। इसे करने से पाप नाश होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।

क्या है विष्णु भगवान का प्रिय भोग

भगवान विष्णु को पीले रंग की चीजें अत्यंत प्रिय हैं। आप उन्हें भोग में पीली मिठाइयाँ जैसे बेसन के लड्डू, मालपुआ, या केले चढ़ा सकते हैं। इसके अलावा पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) का भोग भी उत्तम माना जाता है।

तुलसी वाला जल ले सकते

इस दिन व्रत रखने वाले जल तक ग्रहण नहीं करते, इसलिए इसे ‘निर्जला’ कहा गया है। केवल बहुत आवश्यक होने पर तुलसी डली वाला जल लेने की अनुमति दी जाती है। ध्यान रहे, व्रत के दौरान झूठ बोलना, गुस्सा करना, या बुरे विचार लाना वर्जित होता है। व्रती को संयम और शुद्ध मन से दिनभर भक्ति करनी चाहिए। इस दिन भव्य भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन होता है। मंदिरों में विष्णु सहस्रनाम का सामूहिक पाठ होता है। गरीबों को जल पिलाना और फल बांटना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।