हंडिया: बैशाख मास की सत्तू अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने किया नर्मदा स्नान! जलस्तर की कमी से श्रद्धालुओं को हुई दिक्कतें!
हंडिया।वैसे तो हर महीने की अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मां नर्मदा के पवित्र तटों पर पहुंचकर स्नान तथा पूजन अर्चन करते हैं।लेकिन वैशाख मास की सत्तू अमावस्या का विशेष महत्व होने के चलते भीषण गर्मी के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था और संख्या में कोई कमी नहीं दिखी।अमावस्या के अलावा रविवार अवकाश के चलते पूर्व संध्या से ही आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पुण्य सलिला मां नर्मदा के पवित्र तटों पर पहुंच रहे थे।इधर मां नर्मदा में जलस्तर की कमी के चलते श्रद्धालुओं को समस्याओं से दो-चार होना पड़ा,पत्थरों को पार कर दूरी पर स्नान के लिए साफ पानी दिख रहा था।
इतना ही नहीं पत्थरों पर चिकनाई जमी होने के कारण कई श्रद्धालु फिसलते नजर आए तो वहीं कई श्रद्धालुओं को अन्य घाटों पर स्नान करना पड़ा।इस दौरान घाटों पर घूमते हुए मवेशियों के कारण भी श्रद्धालु परेशान रहे। महिला श्रद्धालुओं केलिए भी स्थानीय पंचायत के द्वारा कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी।रिद्धनाथ घाट पर दो चेंजिंग रूम ही रखे गए हैं जिसमें से एक बहुत दूरी पर होने के कारण महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
बड़े-बड़े पत्थरों से होकर मां नर्मदा के जल तक पहुंचे श्रद्धालु !
हंडिया में रिद्धनाथ महादेव घाट पर निर्माण कार्य चल रहा है।
जिम्मेदारों की लापरवाही और निर्माण कार्य की धीमी गति के चलते आज अमावस्या के अवसर पर घाट के मार्ग पर मिट्टी और बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए हैं जिन पर से होकर श्रद्धालु मां नर्मदा के जल के नजदीक पहुंच रहे थे इस दौरान श्रद्धालुओं को भारी से परेशानियों का सामना करना पड़ा।श्रद्धालुओं का कहना है कि जिम्मेदारों को श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अति शीघ्र ही निर्माण कार्य को पूर्ण किया जाना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं को नर्मदा स्नान में परेशानी न हो।
सुबह से शुरू हुआ स्नान का दौर देर शाम तक चलता रहा!
धार्मिक नगरी हंडिया में रविवार सुबह से चला स्नान करने का दौर देर शाम तक चलता रहा जिसमें नगर सहित आसपास तथा दूरदराज के क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दिया व पूजा अर्चना के बाद सत्तू का दान किया और भगवान रिद्धनाथ महादेव का जल अभिषेक कर भगवान को सत्तू अर्पित किया
सत्तू अमावस्या के बारे में बताते हुए पंडित रामचंद्र गीते जी ने कहा कि गेहूं चने और जौ आदि अनाजों से बने सत्तू को गर्मी के मौसम में ग्रहण करने से शरीर को ठंडक और ऊर्जा मिलती है।
क्योंकि वैशाख माह में गर्मी तेज़ होती है और सत्तू शरीर को ठंडक प्रदान करता है।दरअसल अमावस्या पर दान का विशेष महत्व है।
इसलिए इसे सत्तू अमावस्या कहा जाता है