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हरदा:  कचरा निपटान केंद्र की जगह को लेकर ! विश्नोई समाज सहित तीन ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने जताई आपत्ति: CM के नाम ADM को सौंपा ज्ञापन

ग्रामीण बोले हरदा और देवास जिले के ग्यारह निकायों के कचरा निपटान हेतु ग्राम नहाड़िया में कचरा निपटान क्लस्टर (प्लान्ट) के निर्माण के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा, जो हमें मंजूर नहीं।

 

हरदा : जिले के विकासखण्ड हरदा की ग्राम पंचायत सामरधा के अंतर्गत ग्राम नहाड़िया में स्थापित किये जा रहे कचरा निपटान क्लस्टर (ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण केन्द्र) के संबंध में आज सीएम मोहन यादव के नाम हरदा कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा।

बड़ी संख्या में पहुंचे विश्नोई समाज के लोगों का कहना है कि जिले के विकासखण्ड हरदा की ग्राम पंचायत सामरधा के अंतर्गत ग्राम नहाड़िया में शासन द्वारा हरदा और देवास जिले के ग्यारह निकायों के कचरा निपटान हेतु ग्राम नहाड़िया में कचरा निपटान क्लस्टर (प्लान्ट) के निर्माण के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

, जिसमें हरदा सहित आस-पास के 11 नगरीय निकायों का कचरा निपटान किया जाएगा।

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ग्रामीणों का कहना है कि उक्त योजना हेतु ग्राम की जमीन भी आरक्षित की गई है। आरक्षित जमीन गाँव से ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जिससे बारिश में पानी नीचे के नलकूपों, नदियों एवं जिले के सबसे बड़े तालाब जो कि ग्राम कायागाँव में स्थित है, जो लगभग 120.00 एकड़ में बना है, के पानी को प्रदूषित करेगा, पानी के प्रदूषित होने से आस-पास निवासरत् ग्रामवासियों एवं जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर होगा तथा पर्यावरण भी प्रदूषित होगा। यहाँ यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि कायागाँव स्थित इस तालाब में वर्षों से कमलकंद की खेती होती है एवं अनेकों परिवार द्वारा मछली पालन भी किया जाता है,

कमलकंद की खेती एवं मछली पालन इन सैकड़ों परिवारों का जीवन यापन का माध्यम भी है, तालाब का जल प्रदूषित होने की स्थिति में इन परिवारों के जीवन यापन पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है।

इस कचरा निपटान प्लान्ट से मात्र 2 कि.मी. की दूरी पर तीन ग्राम पंचायत क्रमशः सामरधा, झाड़पा एवं कायागाँव स्थित है, इन ग्राम पंचायतों में पूर्व में ही ग्रामसभा के माध्यम से प्रस्ताव पारित कर कचरा निपटान प्लान्ट का विरोध प्रदर्षित किया था, यहाँ यह भी उल्लेखित है कि पंचायती राज अधिनियम के अनुसार कोई भी निर्माण ऐजेन्सी बिना ग्राम पंचायत एवं ग्रामसभा के अनापत्ति प्रमाण पत्र के इस तरह के कोई प्लान्ट, कारखाना स्थापित नहीं कर सकती हैं।

कचरा निपटान प्लान्ट की स्थापना को लेकर उक्त तीनों ही ग्राम पंचायतों को आपत्ति है, ऐसी स्थिति में इस कचरा निपटान प्लान्ट को किसी अन्य जगह निर्जन स्थान पर लगाया जाए।

चूँकि बिश्नोई समाज एक पर्यावरण प्रेमी समाज है और पर्यावरण की रक्षा के लिए सन् 1730 में राजस्थान में जोधपुर जिले के खेजडली ग्राम में पर्यावरण संरक्षण हेतु शहीद माँ अमृता देवी बिश्नोई सहित समाज के 363 महिला एवं पुरूषों ने बलिदान दिया था। बिश्नोई समाज इस ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन को अवगत करा रहा है कि कचरा निपटान प्लान्ट को कहीं अन्यत्र स्थापित किया जाए, इसके बाद भी अगर जिला प्रशासन हमारी मांग को नहीं मानता है तो बिश्नोई समाज बड़ा आन्दोलन करेगी, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन की रहेगी।