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विश्व में संकटहरण भगवान शिव की देव भूमि ग्राम सकाहा (हरदोई) उत्तर प्रदेश, दिन में तीन बार अपना रंग बदलता शिवलिंग

, दिन में तीन बार अपना रंग बदलता शिवलिंग: संकटों को हरते शिव.!!

पंकज पाराशर छतरपुर✍️
भगवान शिव मंदिर सकाहा हरदोई में आने वाले लोगों के ऊपर कोई भी संकट क्यों न हो, उसे भगवान शिव अवश्य ही हर लेते हैं, साथ ही यहां मौजूद भगवान शिव के सिद्ध शिवलिंग के सामने सच्चे मन से अपनी मुराद मांगने वाले भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं l उत्तर प्रदेश में हरदोई जिले से 18 किलोमीटर दूर सकाहा गांव में ये पौराणिक शिवमंदिर स्थित है l इस प्राचीन मंदिर से कई रोचक मान्यताएं और तथ्य जुड़े हुए हैं l इस प्राचीन और चमत्कारी शिवलिंग की महत्ता को जानकर दूर दूर से आज भी लोग यहां आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं l यहां आने वाले लोगों के ऊपर कोई भी संकट क्यों न हो, उसे भगवान शिव अवश्य ही हर लेते हैं, साथ ही यहां मौजूद भगवान शिव के सिद्ध शिवलिंग के सामने सच्चे मन से अपनी मुराद मांगने वाले भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं l

मंदिर के पुजारी सूर्य कमल गोस्वामी बताते हैं कि 1951 में बेहटागोकुल थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष शिव शंकर लाल वर्मा ने इस चमत्कारी शिवलिंग को बेहटागोकुल थाना परिसर में स्थापित करवाने के लिए यहां खुदाई करवाई थी l कई दिन तक लगातार खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला और नीचे से पानी आना शुरू हो गया, तब दारोगा ने खुदाई रुकवाकर पानी जाने के बाद खुदाई शुरू कराने का निर्णय लिया l कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ ने दारोगा को सपने में दर्शन देकर उनके शिवलिंग को यथावत रहने दिए जाने का आदेश दिया तभी उस दरोगा ने यहां बने छोटे से साधारण मंदिर को एक भव्य और विशाल मंदिर में परिवर्तित करवाया l
इसी तरह एक और कहानी सेठ लाला लाहौरी मल से भी जुड़ी हुई है, किवदंती है कि सेठ लाला लाहौरी मल के बेटे को फांसी की सजा हो गई थी, तब घूमते टहलते इस शिवलिंग के महत्व और महिमा से अनजान सेठ लाहोरीमल ने दुखी मन से अपने बेटे की फांसी की सजा माफ किए जाने की मन्नत मांगी, तभी अगले दिन उसके बेटे को दी जाने वाली फांसी की सजा माफ हो गई और फिर तभी से सेठ ने इस मंदिर में विकास कार्य कराना शुरू किया था l इसी तरह के तमाम तथ्य इस शिवलिंग से जुड़े हुए हैं,जो इसकी महत्ता को प्रदर्शित करते हैं l
पौराणिक संकटहरण सकाहा शिव मंदिर में मौजूद इस विशाल शिवलिंग के इतिहास से आज भी लोग अनजान हैं l यहां तमाम खोजकर्ता आए और गए, लेकिन कोई भी इस शिवलिंग के इतिहास की जानकारी नहीं जुटा सका l ये शिवलिंग एक स्वयं भू शिवलिंग है, जिसका प्राकट्य स्वयं ही हुआ था, इसमें स्वयं भगवान शिव का वास है l
इस प्राचीन शिवलिंग से तमाम चौंकाने वाले रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं l सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग भूरा होता है, तो दोपहर और शाम के बीच इसका रंग काला हो जाता है, वहीं रात्रि में इसका रंग सुनहरा हो जाता है l इतना ही नहीं ये शिवलिंग पूर्व में छोटे आकार का था, जो आज बेहद विशाल हो गया है l समय दर समय इस शिवलिंग के आकार में वृद्धि हो रही है, इस शिवलिंग को संकटहरण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां के भगवान शिव संकटों को हर लेते हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं l