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विश्व रेडियो दिवस 13 फरवरी – खरगोन का निमाडे परिवार आज भी रेडियो का दीवाना, लेते हैं ज्ञान, सुनते हैं गाने

रेडिओ ने हमारे जीवन को कई रूपों में प्रभावित किया है प्रत्येक आयु वर्ग के स्त्री पुरुष बच्चो के लिए कार्यक्रम खेती बाड़ी से लेकर हिमालय पर चढ़ाई की जानकारी हो अथवा प्रधान मंत्री की मन की बात, राष्ट्रपति का संदेश, लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र संबोधन, खेलो का आँखों देखा हाल हो या नाटक, रूपक लोक संस्कृति, गीत, संगीत सभी कुछ बहुत सटीकता से सुनाया। रेडिओ सूचना ज्ञान शिक्षा ओर मनोरंजन को अंगीकृत कर सदियों से मानव जीवन का अभिन्न अंग बना रहा है।

रेडिओ के इसी उज्वल इतिहास को विस्मृत होने से बचाने ओर विश्व में रेडिओ के खोते स्वाभिमान को पुन: जाग्रत करने के उद्देश्य से यूनेस्को ने प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडिओ दिवस  मानने का निर्णय लिया था। खरगोन के तिलक पथ निवासी पूरा निमाडे परिवार रेडियों को दीवाना है, इनके घर में ५० वर्ष पुराना रेडियो मौजूद है, जिसे पूरा निमाडे परिवार सहित सुनता है,।

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परिवार के मनीष निमाडे एक रेडियो श्रोता है जिनके पत्र अक्सर आकाशवाणी पर प्रसारित होते रहते है। वह आकाशवाणी का हर कार्यक्रम पूरे परिवार सहित सुनते है। मनीष निमाडे ने बताया की टेलीविजन के दौर में रेडियो की लोकप्रियता कम आयी पर प्रधानमंत्री के मन की बात के बाद से रेडियो फिर एक मुकाम पाया है। हमारे घर मे मेरे स्व: पिताश्री घनश्याम निमाडे के समय का पचास वर्ष पुराना मरफ़ी कंपनी का 8 बैंड वाला विंटेज रेडियो चालू हालत में है, जिसे पिता जी ने बहुत ही प्यार से सहेज कर रखा था। यह रेडियो वाल सेट पर आधारित है, बाद में ट्रांजिस्टर रेडियो की शुरुआत हुई थी। रेडियो हमारे घर में सभी को पंसद है। इसी रेडियो पर मेरी पत्नी शीतल निमाडे, पुत्र गणेशा, पुत्री वंशिका के साथ परिवार सहित रेडियों पर गीत संगीत ओर मन की बात प्रसारण सुनते है। साथ ही मैंं एक रेडियो श्रोता भी हूं जो मेरे लिए गर्व की बात है।

मनीष निमाडे बताते है कि रेडिओ की इसी महत्ता को पहचान कर देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आम जन की समस्याओ, सुझाओ को लेकर रेडिओ के माध्यम से मन की बात करते है ओर विश्व के सबसे विशाल श्रोता परिवारों से संवाद स्थापित करते है। आज के अत्याधुनिक युग मे रेडिओ भी डिजिटल हुवा है आज रेडिओ को टेलिवीजन पर सुना जा सकता है तो वही टेलिवीजन को भी रेडिओ पर सुनना संभव है। रेडिओ एक मात्र यंत्र ही नहीं एक  एहसास भी है।