रुपये जमा करने के लिए एसडीएम और तहसीलदारों को आया था मेल
मकड़ाई समाचार हरदा। समय के साथ अपराध करने के तरीको में भी बदलाव आया है।नवीनतम टैक्नालाजी का उपयोग कर अपराधी लोगो को लूट का शिकार बना रहे है।इससे आमजन के साथ प्रशासकीय अधिकारी भी नही बच पा रहे है। ऐसा ही एक मामला विगत दिवस जिले में सामने आया है। जिसमें कलेक्टर के नाम से जिले के सभी एसडीएम और तहसीलदार की ऑफिशियल आईडी पर मेल से रुपए मांग की गई। इस पर हंडिया तहसीलदार डॉ. अर्चना शर्मा ने तुंरंत 20 हजार रुपए भी जमा करा दिए।जब बाद में उन्हे पता चला कि वह सायबर लूट की शिकार हो गई तो उन्होने रविवार रात हंडिया में थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
एसडीएम की तत्परता से लुटने से बचे अधिकारी
मामले की जानकारी देते हुए एसडीएम एचएस चौधरी ने बताया कि रविवार को दिन में उनके सहित अन्य एसडीएम और तहसीलदारों के ऑफिशियल आईडी पर कलेक्टर के नाम से आए मेल में लिखा था कि इमरजेंसी में रुपयों की जरुरत है। एसडीएम की ओर से पूछा गया- आप बताइए क्या करना है,तो दूसरी ओर से जवाब मिला इस नंबर पर 5-5 हजार रुपए के चार गिफ्ट वाउचर पर भेज दो। इस दौरान एसडीएम चौधरी ने सोचा कि कुछ देर पहले तो वे कलेक्टर अनुराग वर्मा के साथ ही थे। ऐसा होता तो वे खुद बोलते।इस पर उन्होंने कलेक्टर वर्मा से चर्चा की और उनके मना करने पर अन्य अधिकारियों को सचेत कर दिया। अधिकारियों ने एसडीएम चौधरी से संपर्क किया और समय पर सही जानकारी मिलने ने वे लूट से बच गए।
हंडिया थाने में अज्ञात अपराधी के विरु़द्व 420 का प्रकरण दर्ज
सायबर अपराध फर्जी मेल से हंडिया तहसीलदार डॉ. शर्मा 20 हजार रुपए गवां चुकी थीं। उन्होंने अपने बेटे को यह बताया तो उनके द्वारा सेंट्रल की किसी जांच एजेंसी व अमेजन को सूचित किया गया। इस दौरान सामने आया कि धोखाधड़ी कर रुपए पश्चिम बंगाल के किसी एकाउंट में ट्रांसफर हुए हैं। जांच एजेंसी ने इसे फ्रीज कर दिया है। कलेक्टर वर्मा ने बताया कि फर्जी आईडी से आए मेल पर तहसीलदार द्वारा रुपए जमा कराने के मामले की जांच साइबर सेल से कराई जा रही है। इधर एसपी मनीष कुमार अग्रवाल ने बताया कि हंडिया थाना में भादंवि की धारा 420 समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। साइबर सेल भी जांच में जुटी है।
लूट के शिकार अधिकारी होने से सायबर पुलिस गंभीर
सायबर अपराध में हाई प्रोफाईल अधिकारी प्रभावित हो रहे थे तो पुलिस ने तुरंत आनन फानन में मामला दर्ज किया और सायबर सेल भी एक्टिव हो गई। जबकि जिले में विगत वर्षो से ऐसे कितने लोग है जो इस प्रकार की लूट के शिकार होते है और पुलिस ने कितने लोगो के मामले सुलझाए है।जिले के टिमरनी सिराली हरदा खिरकिया आदि थानो में सायबर लूट के कई मामले लंबित पडे हुए है।जिनमें लोगो ने अज्ञात कंपनी के मेसेज लोन दिलाना एटीएम नंबर से रुपया लूटना,लाटरी निकालने के नाम पर रुपया जमा कराना आदि के लूट के शिकार हुए लोगो की शिकायते इन थानों में लंबित है मगर अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई।
पूर्व में कई लोग हो चुके है ठगी के शिकार सायबर सेल बना शोपीस
आमजन के साथ एटीएम से रुपये चोरी होना ईमेल आईडी हैकिंग और मोबाईल चोरी होना आदि सायबर अपराध पर पुलिस गंभीरता से नही लेती है।जिले में सायबर अपराधियो द्वारा लाटरी के नाम पर एटीएम बंद होने के नाम पर लकी ड़ा के नाम पर पर पूर्व में लाखो रुपये की ठगी कई लोगो के साथ हो चुकी है लेकिन आज तक सायबर पुलिस द्वारा किसी भी बड़े ठग को नही पकड़ा गया है। इसके लिए आमजन थाना में शिकायत दर्ज कराते है और कुछ दिन पुलिस से उम्मीद करती है कि उनको मदद मिलेगी और उनका रुपया और मोबाईल आदि उन्हे वापस मिल सकेगा जबकि ऐसा होता नही है।पुलिस सायबर अपराध को गंभीरता से नही लेती है। यही नेमावर व हंडिया थाना में विगत वर्ष नर्मदा घाट से मोबाईल अन्य सामान चोरी होने पर संबधित व्यक्ति ने घाट पर बॅैठे पुलिसकर्मी अक्सर यही कहते है कि अपने सामान की देखरेख खुद करे।वहीं घाट पर लगे कैमरे भी शोपीस बने हुए लूट के शिकार व्यक्ति जब कैमरे की बात करता है इससे चैक कर ले तो अपराधी पकड़ में आ जायेगा तो कहते है ये सब कैमरे ठीक नही है। थाना में लिखी हुई शिकायत पर गंभीरता नही दिखाई जाती और न ही आवेदक को बाद में बताया जाता है कि उसके सामान का क्या हुआ हैं। इसी प्रकार एटीएम से जिनके रुपये निकाले या चोरी किए जाते है तो उन्हे भी कोई सहायता नही मिलती है पुलिस की सायबर सेल सिर्फ अधिकारियों के लिए ही है आमजन को कोई मदद नही मिलती है।