ब्रेकिंग
रहटगांव : सच में पुलिस के हाथ बहुत लंबे होते है। कागजों में 11 साल पहले जो मर गया। उसे पुलिस ने जिंद... हंडिया : घरों तथा पांडालों में विराजे गणपति बप्पा,, गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंजी धार्मिक न... हरदा न्यूज: 2 अलग-अलग मामलों में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिये एसपी ने किया इनाम घोषित! कलारीपट्टू जिला स्तरीय प्रतियोगिता में डिजिटल स्कूल ने गाड़ा कामयाबी का झंडा। JNVST Admission Form 2025: कक्षा 6 में प्रवेश के लिए अंतिम तिथि नजदीक, जल्द करें आवेदन Manjhi Ladki Bahin Yojana List 2024: महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 1500 रुपए और मुफ्त 3 एलपीजी सिलिंडर घोर कलयुग : जमीन के टुकड़ों के लालच में भाई ने भाई के साथ की गद्दारी! फर्जी हस्ताक्षर कर बेटे के नाम... Harda: रामभरोस मुंडेल विधायक प्रतिनिधि नियुक्त,समर्थको ने दी बधाई। हरदा:आबकारी विभाग हरदा की अवैध मदिरा के विक्रय के विरुद्ध कार्यवाही में 06 प्रकरण दर्ज  66600 रुपए क... विनेश फोगाट को कांग्रेस ने बनाया अपना उम्मीदवार, पूर्व भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व ...

कृषि प्रधान देश में बिहार और उत्तर प्रदेश की स्थिति

राखी सरोज

बदरपुर (नई दिल्ली)

- Install Android App -

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश के प्रधानमंत्री रह चुके लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा भी इसी लिए दिया था क्योंकि वह जानतें थें कि जवान और किसान यही दो ऐसे लोग हैं जो‌ देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बिना इन के देश का कोई वर्ग तरक्की नहीं कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को भोजन और सुरक्षा की आवश्यकता है। हम हमेशा गर्व और गौरव से मस्तक ऊंचा कर के कृषि प्रधान देश होने का दावा करते हैं।
हमारे किसान अन दाता हैं। हमें सभी को भोजन देते हैं।  कर्ज और बदहाली में दवे रहने के बाद भी वह किसानी करना नहीं छोड़ता है। धरती को माता मान प्रेम करता है और सभी को अपने परिश्रम का फल देता है। किन्तु हमारे देश में उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे मुख्य राज्य हैं जहां असल में एक गरीब और मध्यम वर्गीय किसान आम तौर पर हर दूसरे घर में मिल ही जाएगा। बिहार और उत्तर प्रदेश में रहने वाले किसान हजारों हैक्टर में खेती करने का काम नहीं करतें हैं कुछ बिगहा ज़मीन में ही पूरा जीवन लगा देता है, लेकिन उसके बाद भी उसके हाथ कर्ज और बेरोजगारी ही आतीं हैं। ऐसे ही किसान अपने परिवार और अपनी हालत सुधारने की उम्मीद लेकर वहीं किसान जब किसी बड़े शहर की ओर का रूख करता है, तब मजदूर बन जाता है। लॉक डाउन में वहीं व्यक्ति जिसने वर्षों अपने खेत में अन उगाकर इस देश के लोगों का पेट भरा, लोगों के लिए घर बनाएं। उनको ना छत मिली और ना ही रोटी। हजारों मिलों का सफर कदमों से चल कर कभी अपने घर तो कभी परमात्मा के घर पहुंचे।
प्रवासी मजदूर जिनको पुछने वाला कोई नहीं है ना हिन्दूओं के घर बर्बाद हुए ना मुस्लिम की नींद उड़ी। वह चुनावी माहौल में वोट बैंक बन चुके हैं। हर राजनीतिक दल उनकी मजबूरी और परेशानियों को अपनी सीडी बना कर सरकारी कुर्सी पाना चाहता है। इन दोनों राज्यों में बेरोजगारी और गरीबी बहुत अधिक है।  नोट बन्दी हो या लॉक डाउन के कारण यह आंकड़ा और भी बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की स्थिति बहुत ही खराब है। घरेलू हिंसा हो या बलात्कार बहुत ही बड़ा आंकड़ा है। हर दिन आठ महिलाएं बलात्कार का शिकार केवल उत्तर प्रदेश में ही होती है। घरेलू हिंसा के आंकड़े में सबसे सर्व श्रेष्ठ उत्तर प्रदेश का ही आंकड़ा आता है।
उत्तर प्रदेश और बिहार देश के बड़ी जनसंख्या का हिस्सा है।  बिहार में शिक्षा 55 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 49 प्रतिशत है। लेकिन बिहार की स्थिति उत्तर प्रदेश से कुछ हाल इस स्थान पर सही है क्योंकि उत्तर प्रदेश में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र दुसरी कक्षा का सवाल नहीं कर पाते है। जिसके चलते शिक्षा स्तर बहुत ही निचला है। 30 प्रतिशत लड़कियां 15-16 वर्ष की होते ही स्कूल जाना छोड़ देती है। जिसके चलते महिलाएं का उच्च शिक्षा में बहुत निम्न आंकड़ा है।
बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, गरीबी इन सभी के साथ ही साथ इन‌ दोनों राज्यों के लोग प्राकृतिक आपदा का भी शिकार होते रहते हैं। बारिश, सुखा, बाढ़ जैसी आपदाएं करीब-करीब हर दूसरे साल लोगों के जीवन को बर्बाद कर रहीं हैं। ऐसे में पढ़ें लिखे लोगो का रवैया यहां के विकास में सहयोग देने के स्थान पर बस अपने स्वार्थ को‌ पूरा करने के लिए यहां से निकल किसी अन्य राज्य में अपना जीवन बसर करने का होगा। तब कैसे इन राज्यों का विकास होगा। राजनीति पार्टियां अपने लाभ में लिप्त और हम अपने भविष्य की खोखली ख़ोज में परेशान। ऐसे में अमीरों द्वारा भ्रष्टाचार कर गरीब लोगों का हक मारने की कोशिश ने इन राज्यों की स्थिति बद से बदतर कर दीं। यदि हम आज यह सब समझ कर रोकने का प्रयास नहीं करेंगे तो आने वाले समय में बचाने के लिए कुछ नहीं बचेगा क्योंकि खोने के लिए कुछ बाकी नहीं होगा।