कोलकाता। चिकित्सा क्षेत्र में कोलकाता ने एक और मिसाल कायम करते हुए बेहद दुर्लभ और जोखिम भरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। मरीज की जान बचाने के लिए उसकी खोपड़ी के एक हिस्से को काटकर उसके पेट में रख दिया गया है। मस्तिष्क से बोझ कम करने के लिए यह कदम उठाया गया। खोपड़ी का यह हिस्सा अगले 90 दिनों तक मरीज के पेट की चमड़ी के नीचे रहेगा। इसके बाद उसे फिर से उसकी जगह पर लगा दिया जाएगा।
मामला दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर इलाके की रहने वाली 42 साल की अपाला मित्रा का है। वह लंबे समय से सिरदर्द से परेशान थीं और इसे आम सिरदर्द समझकर दवा ले रही थीं। हालांकि, इससे कुछ समय के लिए राहत मिलती थी, लेकिन बाद में फिर दर्द शुरू हो जाता था। गत एक मई को वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी थी। 15 मई को उसे कोलकाता के पार्क सर्कस स्थित इंस्टीच्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज में ले जाया गया।
वहां सिर की एंजियोग्राफी कराई गई, तो पता चला कि मस्तिष्क की जिन धमनियों से रक्त का प्रवाह होता है, वे फट गई हैं। इसके साथ ही “सर्वाकनायेड हैमरेज” और “इंट्रेसेरेब्रल हैमरेज” का भी पता चला। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे मामलों में बचने की उम्मीद एक फीसद से भी कम रहती है। अपाला के मस्तिष्क के ब्लड वेसेल्स के फट जाने से सर्वाकनायेड हैमरेज हुआ था, जिसके कारण वह कोमा में चली गई थी।
अपाला 10 दिनों तक बेजान वस्तु की तरह बिस्तर पर पड़ी हुई थी। दूसरी तरफ उनके पति लॉकडाउन के कारण हैदराबाद में फंसे हुए हैं। अपाला के पति जुलाई के अंत में कोलकाता लौटेंगे। सर्जरी के दौरान वह मोबाइल से वीडियो कॉल कर पत्नी की हालत का जायजा ले रहे थे। शल्य चिकित्सक डॉक्टर अमित कुमार घोष ने परिवार की सहमति से इस दुर्लभ ऑपरेशन की तैयारी शुरू की।
नहीं तो चली जाती जान
इस ऑपरेशन को चिकित्सकीय भाषा में “डिक्सप्रेसिव क्रोनियेकटमी एंड इवैकुएशन ऑफ हेपाटोमा एंड क्लिपिंग ऑफ एनुरिजम” कहा जाता है। आसान शब्दों में कहें तो खोपड़ी के एक हिस्से को काटकर पेट की चमड़ी के नीचे रखना। डॉक्टर घोष ने बताया कि यह बेहद दुर्लभ ऑपरेशन है। कोरोना के समय इस तरह का ऑपरेशन करना और भी जोखिमपूर्ण था, लेकिन मरीज की जान बचाने के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं था। सिर के अंदर की धमनियों के फूल जाने को “एनुरिजम” कहा जाता है। धमनियां और न फटे इसलिए क्लिप से उसे जोड़ा गया है। इसे “क्लिप ऑफ एनुरिजम” कहा जाता है।