नरसिंहपुर। अभी तक आपने प्रधानमंत्री मंत्री के आव्हान पर कोरोना योद्धाओं का साहस बढ़ाने लोगों को शंख, ताली, थाली बजाते देखा होगा। लेकिन जिले में कई किसान अब यही सब इसलिए कर रहे हैं ताकि अतिवृष्टि और पीला मोजेक जैसे रोग से सोयाबीन सहित अन्य फसलों को जो क्षति हुई है उसका सर्वे हो सके और किसानों को मुआवजा मिले। नरसिंहपुर जिले में सोयाबीन को अधिक बारिश और पीला मोजेक ने इस तरह नुकसान कर दिया है कि कई किसानों ने अपने खेतों में मवेशियों को छोड़ दिया है। नरसिंहपुर जिले के ग्राम भौंरझिर में किसान रमेश राठौर के खेत में रविवार को कुछ ऐसा ही दृश्य दिखा जब किसानों ने सरकार का ध्यान आकर्षित कराने शंख, ताली, थाली बजाए और सर्वे कराने मांग की।
ग्राम भौंरझिर, सूरना, लिंगा, घघरौला, पटना, करहैया, सलैया, मुड़िया, तिगंवा आदि गांवों के किसानों ने रमेश राठौर के खेत में एकत्रित होकर सोयाबीन सहित अन्य फसलों में हुए नुकसान का मुआवजा देने मांग की। किसान अपने-अपने घरों से शंख, थाली लेकर पहुंचे और बजाते हुए सरकार से मांग दोहराई कि उनकी फसल का सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाए। किसान आशीष पटैल, तुलसीराम राठौर, चौ. ओमजी कौरव, राकेश पचौरी, देवेंद्र कौरव सूरना, चौ.विनीत कौरव, सुरेंद्र पटैल, प्रभाकर खेमरिया, संतोष राठौर, मनोज कौरव, दिनेश कौरव आदि का कहना रहा कि शासन द्वारा नदी के तटीय क्षेत्रों में ही बाढ़ प्रभावित फसलों का सर्वे कराया जा रहा है।
जबकि अतिवृष्टि और पीला मोजेक से सोयाबीन सहित अन्य फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है और उसका सर्वे नहीं हो रहा है। किसानों का कहना रहा कि पिछले वर्ष भी उन्होंने फसल बीमा का प्रीमियम दिया था लेकिन आज तक बीमा नहीं मिला। मौके पर कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंच सका। किसानों का कहना है कि अब वह 15 सितंबर को ज्ञापन देने नरसिंहपुर जाएंगे।