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दुनिया मे एक गांव ऐसा जहा घोंसले बनाकर रहने को मजबूर हैं लोग, जानिए क्या है इसके पीछे ‘रहस्‍य’

एक बंगला बने न्यारा’ हिंदी फिल्म के इस बोल की तरह हर किसी की ख्वाहिश होती है कि उसका भी सपनों का घर हो। हालांकि, बंगला या महल के सपने को पूरा कर पाना हर किसी के बस में नहीं होता, लेकिन छोटा ही सही सुंदर और सुकून भरा आशियाना बनाना सब चाहते हैं। वहीं, दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो पिछले कई सदियों से मकान में न रहकर जंगल, पहाड़ आदि में जीवन गुजर-बसर करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चिड़ियों की तरह घोंसला बनाकर रहते हैं।

कंदोवन में हैं ये घर

ईरान में एक कंदोवन नाम का एक गांव है। इस गांव के लोग पिछले 700 सालों से घोंसलानुमा घरों में रहते हैं। पहाड़ियों पर बनाए गए ये घर बिल्कुल में देखने पर चिड़ियों के घोंसलों की तरह लगते हैं। इनके परिवार यहां पीढ़ी दर पीढ़ी रहते चले आ रहे हैं। हालांकि, सामान्य घोंसलों की तरह दिखने वाले इनके घरों की कुछ खासियतें भी हैं।

हमलों से बचने के लिए बनाए थे घर

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यहां के लोगों की इन घरों में रहने की खास वजह भी थी। दरअसल, जब इन इलाकों पर मंगोल आक्रमणकारियों का आतंक था, तो उस समय हमलों से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की तलाश थी, जहां पर ये लोग खुद को मंगोलों के हमलों से बचा सकें। ऐसे में ये लोग पहाड़ियों पर चले गए और वहां पर इस तरह के घर बनाए। उन्होंने छिपने के लिए चट्टानों को खोदा और घरों को तैयार किया। समय के साथ ये घर उनके लिए रहने की स्थायी जगह बन गई।

मौसम के अनुकूल हैं घर

हालांकि, ये घर देखने में साधारण लगते हैं। इनको देखकर लगता है कि यहां पर रहना काफी मुश्किल होता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। ये घर हर तरह के मौसम में अनुकूल बने रहते हैं। इन घरों में ठंड के मौसम में गर्मी और गर्मियों में ठंड बने रहती है। ये घर दिखने में भले ही अजीबोगरीब लगते हों, लेकिन ये काफी आरामदायक होते हैं। इन घरों में रहने वाले लोग हीटर और एयर कंडीशनर का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र

अब तो आप समझ ही गए होंगो कि आखिर, ईरान के कंदोवन गांव के रहने वाले लोग आखिर क्यों घोंसलेनुमा इन घरों में रहते हैं। ये भले ही दिखने में उतने ही खूबसूरत न हो, लेकिन इनकी बनावट ऐसी है कि यहां के लोग इनमें रहना पसंद करते हैं। आज ये घर दुनियाभर में अपनी कलाकारी के लिए मशहूर हो चुके हैं।