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दो पत्नियो वाला पति, हफ्ते में 3-3 दिन देना होता दोनो को ,संडे की मिलती है,छुट्टी

मकड़ाई समाचार ग्वालियर|कुटुंब न्यायालय में एक रोचक मामला सामने आया है। न्यायालय में केस पहुंचने से पहले ही काउंसलर ने दोनों के बीच सुलह करा दी। पत्नियों ने हफ्ते के तीन-तीन दिन आपस में बांट लिए। रविवार को पति की छुट्टी रहेगी। वह अपने इच्छा के अनुसार कहीं भी रुक सकता है। पत्नियों का प्रतिबंध नहीं रहेगा। दोनों पत्नियों के साथ रह सके उसके लिए दोनों को गुरुग्राम में एक-एक फ्लैट दिया है। पति-पत्नी के बीच सुलह कराने के लिए कुटुंब न्यायालय के काउंसलर हरीश दीवान व उनकी पत्नी बबीता दीवान ने पांच बार काउंसलिंग की। सुलह के लिए दोनों के बीच रास्ता निकाला।

दरअसल मामला इस प्रकार है कि रुचि (परिवर्तित नाम) का विवाह 2018 में हुआ था। पत्नी मल्टीनेशन कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर है। वेतन के रूप में मोटी रकम मिलती थी। रुचि दो साल तक पति के साथ रही। उनका एक बच्चा था। 2020 में रुचि को उसका पति ग्वालियर छोड़ गया, उसके बाद साथ नहीं ले गया। कंपनी में साथ काम करने वाली महिला कर्मचारी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद विवाह कर लिया। दूसरी पत्नी से भी एक लड़की का जन्म हुआ। जब पति रुचि को साथ लेकर नहीं जा रहा था तब उसने पूरी हकीकत गुरुग्राम पहुंचकर पता की। पति की दूसरी पत्नी का खुलाशा किया। रुचि का पति के साथ विवाद होने लगा।
कुटुंब न्यायालय में रुचि अपने व लड़के लिए भरण पोषण लेने के लिए केस दायर करने आई थी। कुटुंब न्यायालय में काउंसलर हरीश दीवान से मुलाकात हुई और उन्होंने इस केस की काउंसलिंग की। पत्नी को समझाया कि भरण पोषण में पांच से छह हजार रुपये ही मिलेंगे, पति के साथ रहने का प्रयास करे। उसके बाद मोबाइल से पति से बात की। पति को कानूनी पेचीदगी व परेशानियों के बारे में बताया गया।

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– दीवान ने बताया कि पहली पत्नी को तलाक दिए बगैर दूसरी पत्नी को कानूनी दर्जा नहीं मिल सकता है। पहली पत्नी दहेज प्रताड़ना सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज करा सकती है।

– पहली पत्नी कुटुंब न्यायालय में भी केस दायर कर सकती है। पुलिस व न्यायालय में लगातार चक्कर काटने पड़ेंगे। इससे नौकरी प्रभावित होगी।