मकड़ाई समाचार राजगढ़। एक छोटे से गांव की गरीब परिवार की एक युवति का चयन बीएसएफ में होने के बाद वह ट्रेनिंग पूरी करते हुए जब अपने गांव लौटी तो ग्रामीणों ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इतना ही नहीं घो़डे पर बैठाकर बकायदा उसका जूलूस निकाला गया। यह स्वागत पाकर युवति भी अभी भूत हो गई। अब वह सशस्त्र सीमा बल की ट्रेनिंग लेने के लिए फिर से अलवर जा चुकी है।
जानकारी के मुताबिक बो़डा थाने केे गांव पीपल्या रसो़डा में देवचंद भिलाला निवास करते हैं। वह खेती काम करता है व वहीं पर उनकी बालिका संध्या उनके साथ रह रही थी। उसने गांव में परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के चलते सेना में जाने का मन बनाया। इसके लिए गांव से ही दौ़ड की शुरूआत करते हुए तैयारी शुरू की। लंबी मशक्कत के बाद पिछले दिनों तीसरी बार में संध्या का चयन सशस्त्र सीमा बल के लिए हो गया था। चयन के बाद वह 08 माह से राजस्थान के अलवर में ट्रेनिंग कर रही थी। ट्रेनिंग करने के बाद जब गांव लौटी तो उसका गर्म जोशी से स्वागत किया। घो़डे पर बैठाकर गांव में उसका जुलूस निकाला गया। अब वह कुछ दिन गांव में रूकने के बाद वापस राजस्थान के लिए जा चुकी है। उनकी पोस्टिंग मूल रूप से उप्र के सिद्धार्थनगर है। वहां प्रशिक्षण के बाद मार्च में ज्वाइनिंग लेंगी।
गांव से की थी दौ़डने की शुरूआत
संध्या के परिजनों की मानें तो वह शुरूआत में गांव में ही रहकर दौ़डती थी। सुबह-सुबह गांव कीतंग गलियों से होकर खुले मैदान में दौ़ड लगाने जाती थी। संध्या ने अपनी दिनचर्या में इसको शामिल कर लिया था। लगातार दौ़डते हुए उसने यह की तैयारी की। इसके पहले वह कई बार असफल हुई थी, लेकिन बाद में उसका चयन हो गया। चयन के बाद से 08 माह की ट्रेनिंग वह कर राजस्थान में कर रही थी। अब ज्वाइनिंग ले ली है।
गांव के युवकों को देखकर ली प्रेरणा, हुआ चयन
संध्या ने बताया कि वह तीन बहनें व दो भाई हैं। दोनों बहनों से छोटी व भाईयों से ब़डी है। 2013 में गांव के दो युवकों का चयन सेना के लिए हुआ था। उन्हें देखकर ही देश सेवा में जाने की प्रेरणा ली थी। इसके बाद दो साल इंदौर में रहकर तैयारी की। एक साल पचोर में तैयारी की। फिर दो साल गांव में रहकर एक स्कूल में प़ढाते हुए तैयारी जारी रखी। इसके बाद उनका चयन हो गया। उनके पिता मूल रूप से किसान हैं व खेती का कार्य करते हैं।