Bholenath: भोलेनाथ की भक्ति को धारण करने से होता है मन पवित्र शिवमहापुराण की कथा भक्ति के साथ खोलती है मुक्ति का द्वार : प्रेममूर्ति अभिषेकानंद महाराज
मनुष्य को कुछ क्षण के सुख के कारण जन्म जन्मांतर के लिए दुःख भोगने पड़ते हैं –
टिमरनी : पूज्य श्री अभिषेकानंद महाराज इंदौर बालो के पावन सानिध्य में 09 से 15 मार्च तक श्री राधेश्वर मंदिर सेवा समिति के एवं टिमरनी नगर वासियों के सहयोग से हो रही श्री शिव महापुराण कथा के पंचम दिवस हरदा एवं टिमरनी के आसपास के श्रद्धालु भक्त भक्त भी पहुंचे
आज कथा की शुरुआत मेरे भोलेबाबा मुझको देना सहारा कही छूट जाए ना दामन तुम्हारा के साथ प्रारंभ हुई कथा रस वर्षण करते हुए महाराज श्री के कहा दुनिया का सहारा तो एक न एक दिन छूट ही जाता है लेकिन जीवन में महादेव की भक्ति का सूत्र स्थापित हो जाए तो ये जन्म जन्मांतर तक नही छुटने बाला है जिसके बाद महाराज जी ने कहा
जो मनुष्य चाहते हैं कि हमारा सनातन धर्म, संस्कृति और श्री राम लला के मंदिर की तरह श्री कृष्ण जन्मभूमि का भी निर्माण हो तो सभी हिन्दुओं को एक साथ आना ही होगा। संसार की बातों को छोड़कर मनुष्य को अपनी संस्कृति में लग जाना चाहिए।
जो वास्तव में हिन्दू हैं और जो अपने धर्म और संस्कृति को बचाना चाहते हैं तो उन्हें कदम से कदम मिलाकर चलना पड़ेगा और जैसे श्री राम मंदिर का निर्माण हुआ वैसे ही श्री कृष्ण जन्मभूमि का निर्माण होना चाहिए।
जो मनुष्य धर्म के पथ पर चलता है उस मनुष्य को कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा क्योंकि धर्म केवल शरीर के लिए नहीं किया जाता बल्कि धर्म तो आत्मकल्याण के लिए किया जाता है।
मनुष्य अपने जीवन में कितनी भी सफलता क्यों न हासिल कर ले लेकिन उस मनुष्य में कभी भी अहंकार नहीं आना चाहिए क्योंकि ईश्वर अहंकारी मनुष्य को स्वीकार नहीं करते हैं।
जब भी संसार में कोई मनुष्य दुखी होता है तो वह सबसे पहले भगवान से सहायता मांगता है। भगवान की शरण में आने के बाद मनुष्य को किसी की शरणागति की आवश्यकता नहीं होती। मनुष्य का दुर्भाग्य यही है कि जो हमारी सहायता नहीं करना चाहता हम उसी के पास सहायता मांगने जाते हैं।
मनुष्य को ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि कुछ क्षण के सुख के कारण जन्म-जन्मांतर के लिए दुःख भोगने पड़ते हैं।
भगवान के अनंत रूप हैं। जो मानव की दृष्टि से देखे नहीं जाते और ना ही बुद्धि से समझे जाते हैं लेकिन महादेव कण कण में बसे है हम तो नर्मदा के तट पर रहने वाले मनुष्य है ये हमारा परम सौभाग्य है की जब मन चाहे तब मां के दर्शन कर ले नर्मदा का कंकर कंकर ही शंकर है शिव कण-कण में बसे हैं बस हमे हमारे भीतर के शिव को देखना है ।
क्युकी जिस दिन शिव तत्व निकल कर शरीर से चला गया उस दिन ये देह भी शव में बदल जाता है इसलिए महादेव की भक्ति और कथा का तत्व जीवन में जरूर धारण करना चाहिए कथा के समापन पर होगा सिद्ध रुद्राक्ष एवं बेलपत्र का वितरण।