सागर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनने के आह्वान का असर स्वास्थ्य महकमे में दिखा है। मध्य प्रदेश के 15 जिला अस्पताल अब कोरोना जांच करने में आत्मनिर्भर बन गए हैं। खास बात यह है कि ऐसे जिलों में कोरोना की जांच शुरू हो सकी है, जहां पहले डेंगू तक की जांच सुविधा संभव नहीं थी। जिला अस्पतालों में जांच शुरू होने से मेडिकल कॉलेजों की लैब पर पड़ने वाला दबाव भी कम हुआ है और रिपोर्ट भी तेजी से मिलने लगी हैं। जिला अस्पतालों में कोरोना जांच के लिए अलग से लैब स्थापित कर ट्रू-नेट मशीनें स्थापित कराई गई हैं। अधिकतर जिलों में लैब प्रारंभ भी हो गई हैं।
ट्रू-नेट मशीनों से होगी जांच
सरकार ने प्रदेश के जिला अस्पतालों में ट्रू-नेट मशीनों से कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच की अनुमति दी है। उनमें सागर संभाग के सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना के अलावा ग्वालियर, मुरैना, भिंड, मंदसौर, नीमच, छिंदवाड़ा, जबलपुर, शहडोल, बुरहानपुर, सिंगरौली जिले शामिल हैं। इन शहरों के जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों से इतर कोरोना जांच के लिए सक्षम बनाया जा रहा है। सभी जगह सामान्य लैब से अलग एक कमरे को कोरोना व स्वाइन फ्लू जैसी जांच के लिए सक्षम बनाया जाएगा।
50-50 सैंपल की जांच हो सकेगी
सागर संभाग के तीन जिला अस्पतालों छतरपुर, दमोह और टीकमगढ़ में कोरोना संदिग्धों के स्वाब सैंपल की जांच स्थानीय स्तर पर की जाने लगी है। एक दिन में हर जिला 50-50 सैंपल की जांच कर सकता है। पन्ना में आईसीएमआर दिल्ली से कोड आना है। यहां जल्द ही जांच शुरू हो जाएगी। सागर जिला अस्पताल के लिए एक हफ्ते में नई मशीन भेजी जा रही है। कोरोना जांच के मामले में काफी हद तक जिले आत्मनिर्भर बन गए हैं। – डॉ. वीरेंद्र यादव, रीजनल डायरेक्टर, सागर संभाग