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मानव कल्याण के दिव्य प्रकाश की दैदीप्यमणि `दादी प्रकाशमणि’ | Dadi Prakashmani, the shining light of the divine light of human welfare.

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय भाग्योदय भवन खंडवा द्वारा दादी प्रकाशमणि का 16 वां पुण्य स्मृति दिवस मनाया गया, इस अवसर पर सेवाकेंद्र संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शक्ति दीदी एवं संस्था के भाई बहनों ने सामूहिक रूप से श्रद्धांजलि अर्पित की, सेवा केंद्र संचालिका बीके शक्ति दीदी ने दादी प्रकाशमणि के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की
“जब भी कभी विश्व पर अशांति के बादल मंडराए और मानव दिग्भ्रमित होने लगा तब तब इस देवभूमि पर किसी न किसी दिव्य आत्मा का अवतरण हुआ, युग कोई सा भी हो परंतु मनुष्य चाहे तो अपने अंदर छिपी शक्तियों को ईश्वर के सानिध्य से जागृत कर महापुरुष अथवा देव तुल्य बन सकता है”
यह विद्या केवल पुरुषों पर ही नहीं बल्कि महिलाओं पर भी समान रूप से लागू होती है। ऐसी ही एक महान विभूति ने इस कथन को ऐसे युग में साकार किया, जिस युग में इस तरह की सिर्फ कल्पना की जा सकती है।

ऐसी ही महान एवं दिव्य विभूति थी “दादी प्रकाशमणि”

दादी प्रकाशमणि जी ने अपने जीवनकाल में विश्व कल्याण का परचम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के विशाल आध्यात्मिक संगठन का सफल नेतृत्व करते हुए फहराया। उन्होंने 14 वर्ष की अल्पायु में ही अपना जीवन मानव कल्याण हेतु प्रभु अर्पण कर दिया।उनके मूल्य एवं आध्यात्मिक शिक्षा की पुनर्स्थाना को देखते हुए मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ने 30 दिसंबर 1992 को डॉक्टरेट की मानद् उपाधि से उन्हें सम्मानित किया
1969 में प्रजापिता ब्रह्मा ने अध्यात्म की मशाल दादी को सौंप दी और स्वयं संपूर्ण बन गए। ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के पश्चात् दादी जी ने संपूर्ण मानवता की सेवा करते हुए एक विशाल आध्यात्मिक संगठन को साथ लेकर विश्व सेवा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने विभिन्न जाति, वर्ग, रंग-भेद को दूर करने के लिए मानवता में विश्व-बंधुत्व एवं वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को जगाने के लिए आत्मिक एवं प्रभु संतान की स्मृति दिलाई तथा परमात्म अवतरण के ईश्वरीय संदेश को अल्प समय में संपूर्ण विश्व के क्षितिज पर गुंजायमान किया।
दादीजी के कुशल नेतृत्व का कमाल रहा कि संस्थान को संयुक्त राष्ट्र संघ ने गैर सरकारी संस्था के तौर पर आर्थिक एवं सामाजिक परिषद का परामर्शक सदस्य बनाया एवं यूनिसेफ ने भी अपने कार्यों में अपना सहभागी बनाया।

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दादीजी के नेतृत्व में संस्था ने विश्व शांति हेतु कई रचनात्मक एवं सार्थक कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए। उनकी उपलब्धियों को देखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 1987 में एक अंतर्राष्ट्रीय तथा पांच राष्ट्रीय स्तर के `शांतिदूत” पुरस्कार प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया।

कुशल प्रशासिका दादी जी के कर्तव्यो, गुणों, चरित्रों और महानताओं की झलक सर्व को अपनी ओर आकर्षित करती थी। ऐसे विशालहृदयी व्यक्तित्व की धनी थीं। दादी प्रकाशमणि, जिनके दर्शन मात्र से दुःख, अशांति एवं चिंताएं दूर हो जाती थीं। आज वह सबके दिलों में अमर हैं। ऐसी महान विभूति दादी प्रकाशमणि ने 25 अगस्त 2007 में अपनी भौतिक देह का त्याग कर नई दुनिया के निर्माण के लिए अव्यक्त यात्रा को प्रस्थान किया।

दादीजी के पुण्य स्मरण दिवस के अवसर पर ब्रह्मभोजन का आयोजन किया गया जिसमे अत्यधिक संख्या में जनमानस ने ब्रह्मभोजन स्वीकार कर पुण्यलाभ लिया।