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वैक्सीन की जल्दबाजी कहीं पड़ ना जाए भारी

राखी सरोज:-

कोरोनावायरस का कहर हम सभी कुछ महीनों से अपने जीवन में देख रहे हैं। सभी यही दुआ कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस बिमारी का तोड़ खोजा जा सकें। जिसके लिए दिन रात हर देश में वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं। इस समय 145 कम्पनियों द्वारा पूरे संसार में वैक्सीन पर कार्य किया जा रहा है। वहीं पूरी दुनिया में अभी ग्यारह  वैक्सीन का परिक्षण मनुष्य जाति पर हो रहा है। भारत में भी दो वैक्सीन को मानव जाति पर परिक्षण की इजाजत मिल गई है। जिससे उम्मीद है कि हम जल्द ही इस बिमारी से बच सकेंगे।

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कोरोनावायरस का डर और उससे होते नुकसान ने पूरी दुनिया को इस तरह प्रभावित कर रखा है कि उसका फायदा उठाने के लिए व्यापार के नए रास्ते खोजें जा रहें हैं। चाहें फिर सेनिटाइजर मास्क जैसी वस्तुओं की बात की जाएं या फिर कोरोनावायरस के नाम पर बेची जाने वाली दवाओं की बात की जाएं। फिर चाहे वह हाली में बाबा राम देव द्वारा बनाई गई दवा कोरोनील हो। भारत में कोरोनावायरस की दवा की खोज में इतनी जल्दबाजी हैं कि मानव जाति पर वैक्सीन का परिक्षण मिलने की मंजूरी के साथ ही उसकी लॉन्च की तिथि का एलान कर दिया गया। यह तिथि 15 अगस्त की थीं।  इसलिए सभी के ज़हन में सवाल उठने लगा कि करीब एक महीने में किस तरह से यह वैक्सीन मानव परिक्षण में पास हो जाएंगी। जबकि सामान्य तौर पर किसी भी वैक्सीन के परिक्षण में छः माह का समय लगता है।
कहीं राजनीति फायदे और लालच के बीच मासूम लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ ना हो जाए। यह ध्यान भी हमारे देश के जिम्मेदार लोगों को रखना होगा। आयुर्वेद हो या मॉडल चिकित्सा सभी को नियमों का पालन करना चाहिए। चंद पल का फायदा कमाने के लिए मासूम लोगों की जिंदगी के साथ किसी को भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। वैक्सीन हम सभी की जरूरत है। किंतु जल्दबाजी में हम अपना ही नुकसान ना कर बैठे।