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संपादकीय : चीन से निपटने के तरीके

चीनी सेना ने लद्दाख की गलवन घाटी में जैसी घिनौनी और नीच हरकत की, उसके बाद भारत के सामने इसके अलावा अन्य कोई उपाय नहीं कि उसे माकूल जवाब दिया जाए। आनन-फानन विश्व महाशक्ति बनने के नशे में चूर तानाशाह चीन को जवाब देने के कई तरीके हैं और उनमें से एक प्रभावी तरीका उसकी आर्थिक ताकत पर पूरी शक्ति से प्रहार करना है। यह अच्छा है कि इसकी शुरुआत कर दी गई। बीएसएनएल के 4जी टेंडर से चीनी कंपनियों को बाहर रखने के फैसले के बाद कानपुर से मुगलसराय के बीच फ्रेट कॉरीडोर प्रोजेक्ट में चीनी कंपनी का ठेका रद्द करने का फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है। ऐसे कदमों का सिलसिला तेज कर चीनी कंपनियों को चुन-चुनकर बाहर किया जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी हो तो नए नियम-कानून बनाए जाने चाहिए। चीनी कंपनियों की ओर से हासिल किए गए ठेके और उनके साथ हुए समझौते प्राथमिकता के आधार पर रद्द होने चाहिए। क्या यह सही समय नहीं कि महाराष्ट्र सरकार और चीन की वाहन निर्माता कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स के बीच हुआ करार रद्द किया जाए? दुर्भाग्य से यह करार उसी दिन हुआ, जिस दिन चीनी सेना ने गलवन घाटी में शर्मनाक ढंग से भारत की पीठ पर वार किया।

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बिगड़ैल और अहंकारी चीनी नेतृत्व को यह पता चलना ही चाहिए कि उसे धोखेबाजी की कीमत चुकानी पड़ेगी। आर्थिक-व्यापारिक मामलों में चीन पर निर्भरता कम करने के लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक बड़ा लक्ष्य ही यह बने कि चीन से आयातित माल के भरोसे नहीं रहना और देश में काम तलाश रहीं उसकी कंपनियों पर हर हाल में अंकुश लगाना है। नि:संदेह तत्काल प्रभाव से इस पर अमल करना एक कठिन काम अवश्य है, लेकिन अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी संभव है। भारत में ऐसे कारोबारी हैं, जो इस कठिन काम को आसान बना सकते हैं। आवश्यकता बस इसकी है कि उन्हें पूरा सहयोग-समर्थन और प्रोत्साहन दिया जाए। चीन को सबक सिखाने के लिए समर्थन और प्रोत्साहन उन देशों को भी देना होगा जो चीन की दादागीरी से त्रस्त हैं। यदि चीन भारत की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के लिए तैयार नहीं तो फिर उसकी एक-चीन नीति का भी समर्थन करने से स्पष्ट इन्कार किया जाना चाहिए। वैसे भी इस छल-कपट भरी नीति का मकसद हागंकांग और ताइवान को तिब्बत की तरह हड़पना है। भारत को विश्व मंचों पर यह संदेश देने के लिए भी सक्रिय होना होगा कि चीन अपनी तानाशाही दुनिया पर नहीं थोप सकता और उसे विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बनने से रोकने की सख्त जरूरत है।