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सरकारी दस्तावेज में 2019 तक दर्ज भूमि, अब निजी कैसे हो गई- हाई कोर्ट

मकड़ाई समाचार जबलपुर| मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राजधानी भोपाल के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र की करोड़ों रुपये की बेशकीमती जमीन के मामले में पूछा है कि जब राजस्व दस्तावेज में भूमि उद्योग विभाग के नाम दर्ज है तो यह निजी पक्षकारों के नाम कैसे हो गई। न्यायमूर्ति अरुण कुमार शर्मा की एकलपीठ ने अपीलार्थियों की अपील खारिज कर सिविल कोर्ट भोपाल के फैसले को उचित ठहराया।

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कन्हैया शाक्य व उनके परिजनों ने सिविल कोर्ट भोपाल में दावा पेश किया था कि प्रभात पेट्रोल पंप चौराहा के सामने स्थित करीब 27 एकड़ जमीन उनके वारिसानों की है, इसलिए इस पर उनका अधिकार है। उनके कब्जे में हस्तक्षेप नहीं किया जाए। सिविल कोर्ट ने उस आवेदन को निरस्त कर दिया, जिसमें उक्त जमीन पर निषेधाज्ञा चाही गई थी। बाद में अपीलीय कोर्ट ने भी अपील निरस्त कर दी। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याचिका में भी इस बात का उल्लेख है कि राजस्व रिकार्ड में 2019 तक यह जमीन मप्र उद्योग विभाग के नाम दर्ज है। अधिग्रहण का मामला भी लंबित है। ऐसे में याचिका में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।