ब्रेकिंग
चोर ने हरदा कृषि उपज मंडी शेड से किसान की सोयाबीन से भरी ट्राली चोरी की, और सोयाबीन बेचने पहुंच गया।... गोलमाल है भाई सब कुछ गोलमाल : हंडिया उपसरपंच करवा रहे सरकारी जमीन पर कब्जा, महिला बोली 4 लाख खर्च कर... Aaj ka rashifal; आज दिनांक 18 अक्टूबर 2024 का राशिफल जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे हरदा सिराली: बाइक सवार युवकों ने 6 साल के मासूम को मारी टक्कर, मौके पर ही मौत ! परिवार में छाया मातम टिमरनी: संघ से जुड़े स्वर्गीय श्री शेषनारायण राठौर के निधन के बाद दिव्यांग बेटी के भाई बने कांग्रेस ... नर्मदापूरम : जिले के ग्राम कोटल्या खेड़ी बना शराबियों का अड्डा, गांव में कचरे के ढेर में शराब की खाल... सिवनी मालवा: न्यायालय के कंप्यूटर प्रिंटर मे घुसा साँप न्यायालय में मच गया हड़कंप, 20 मिनिट रुक गया ... सिवनी मालवा: नवरात्री में मंदिर मे महिला से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को भेजा जेल !  आरोपी भाजपा पिछड़ा ... हरदा: यातायात पुलिस ने नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों पर चालानी कार्यवाही की ! 20 वाहनों के चाला... खुशियों की दास्तां :स्वसहायता समूह से जुड़ी दुर्गाबाई, पहले सिलाई का काम फिर आय बढ़ी तो किराना दुकान...

हंडिया : गांव-गांव जाकर प्रस्तुति दे रहे काठी लोकनृत्य के कलाकार

मकड़ाई समाचार हंडिया। मध्यप्रदेश के लोकप्रिय लोक नृत्य काठी के कलाकार मंगलवार को क्षेत्र में अपना शानदार प्रदर्शन करते हुए देखे गए। काठी नृत्य कलाकारों को देखकर दर्शकों की भीड़ बढ़ रही थी। मंगलवार को इन कलाकारों ने घर-घर जाकर प्रस्तुति दी। इस दौरान यह कलाकार ढोलक की ध्वनि पर आकर्षक प्रस्तुति दे रहे थे।

- Install Android App -

यह काठी लोक नृत्य विशेषकर संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। घर की सुहागिन महिलाएं काठी माता को विधि विधान के साथ पूजन अर्चन कर सुहाग का समान भेंट करती है। हर गांव जाकर मातृशक्ति पार्वती की पूजा स्तुति के गीत निमाड़ी बोली में गाते हैं। बदले में ग्रामीण इन्हें अन्न वस्त्र आदि भेंट करते हैं।
आस्था की इस जोत को इन लोगों ने हजारों वर्षों से जगाए रखा है। भारत की समस्त सांस्कृतिक गतिविधियां आस्थावान और मेहनतकश लोगों की आस्था और समर्पण भाव के कारण ही जीवित हैं। इसलिए भागदौड़ भरे इस समय में काठी लोक नृत्य के इन कलाकारों की ओर शासन द्वारा ध्यान देकर इस परंपरा को जीवित रखना चाहिएं। इस प्रकार के लोकगीत लोकनृत्य और पर्व आदि को हम नहीं बचा पाए तो हमारी पहचान नष्ट हो जाएगी। हम कितने ही आधुनिक क्यों ना हो जाएं लेकिन अपनी भारतीयता की पहचान को बनाए रखना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।