विगत छह वर्ष से विचाराधीन नर्मदा मिशन और समर्थ गऊ चिकित्सा केंद्र की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का अंतिम आदेश है कि नर्मदा तट के दोनो तट के 300मीटर तक गैर निर्माण क्षेत्र रहेगा।
मकड़ाई एक्सप्रेस 24 जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने विगत छह वर्ष से विचाराधीन नर्मदा मिशन और समर्थ गऊ चिकित्सा केंद्र की जनहित याचिका पर अंतिम आदेश सुना दिया है।
300 मीटर तक का एरिया खुला रखा जाए।
मा•हाईकोर्ट के आदेश में साफ किया गया है कि नर्मदा तट के दोनों ओर 300 मीटर के क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा। यह 300 मीटर का क्षेत्र खुला रखा जाएगा। कोर्ट ने संशोधित विकास योजना 2021 का गंभीरता से पालन सुनिश्चित करने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए है। आदेश शनिवार, एक मार्च को बाहर आया। हाई कोर्ट ने इससे पूर्व भी एक जनहित याचिका पर 13 दिसंबर, 2013 को महत्वपूर्ण आदेश पारित किया था, जिसमें व्यवस्था दी थी कि नर्मदा तट के दोनों ओर 300 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक रहेगी।
सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि सरकार ने पांच अक्टूबर, 2015 को अधिसूचना जारी कर यह स्पष्ट किया था कि नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्र के दोनों ओर 300 मीटर, परियट के दोनों ओर 100 मीटर तथा गौर नदी के दोनों ओर 50 मीटर खुला क्षेत्र (नो कंस्ट्रक्शन जोन) रखा जाएगा।
इन कार्यो की होगी छूट
इस अधिसूचना के आधार पर विकास योजना 2021 तैयार की गई है। खुले क्षेत्र में सामाजिक वानिकी, लैंडस्केप, गार्डन, पार्किंग, पंप हाउस और वाचमैन हाउस बनाने की छूट रहेगी।