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अक्षय तृतीया को कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री

अक्षय तृतीया का पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया। अबूझ मुहूर्त पर शहर भर में शहनाई की गूंज सुनाई दे रही है। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के त्योहार का विशेष महत्व होता है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष का तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है। सभी तिथियों में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की इस तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह एक अबूझ मुहूर्त की तिथि होती है। ज्योतिष गुरु पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया को कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। पौराणिक महत्व के अनुसार अक्षय तृतीया का विशेष स्थान होता है। इस बार अक्षय तृतीया बेहद ही खास है। 100 वर्षों के बाद गजकेसरी राजयोग में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त में बाजार भी गुलजार रहें । हर क्षेत्र में खरीदी की जाएगी। सोने-चांदी महंगे होने के बावजूद भी इस दिन खूब बिक्री होगी। कपड़ा, इलेक्ट्रानिक, बर्तन सहित सभी क्षेत्रों में जमकर खरीदी होने का अनुमान है। हालांकि इस बार अक्षय तृतीया पर गुरु और शुक्र दोनों अस्त हैं। ऐसे में कई पंडित इस दिन विवाह न करने की भी सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि विवाह के लिए शुक्र और गुरु ग्रह का उदित रहना जरूरी है। दोनों ग्रह विवाह के कारक हैं। इनके अस्त रहने पर विवाह नहीं होते हैं। गुरु और शुक्र का तारा उदित होने के बाद 9 जुलाई से एक बार फिर विवाह समारोह की धूम शुरु होगी।

शुभ और मांगलिक कार्य करने की परंपरा –

अक्षय तृतीया पर बहुत से शुभ और मांगलिक कार्य करने की परंपरा रही है। इसके अलावा अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी और घर की जरूरत के अन्य नए सामानों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इस बार अक्षय तृतीया पर 100 साल बाद गजकेसरी राजयोग बनने जा रहा है। वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी राजयोग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है। यह योग तब बनता है जब गुरु और चंद्रमा की युति होती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु और चंद्रमा के बीच में मित्रता का भाव रहता है। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन गजकेसरी राजयोग बनने से कुछ राशि के जातकों पर मां लक्ष्मी, चंद्रदेव और देवगुरु बृहस्पति की विशेष कृपा रहने वाली है। गजकेसरी योग के अलावा इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होंगे।

इस दिन खरीदारी शुभ –

शास्त्रीय मान्यता है कि धन के देवता और सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर ने देवी लक्ष्मी की पूजा की थी। इस पर माता लक्ष्मी ने उन्हें शाश्वत धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया था। अक्षय तृतीया के दिन सोने और चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना गया है। इससे पूरे साल घर में सुख और समृद्धि आती है। इसी दिन व्यापार आरंभ भी विशेष फलदायी कहा गया है।

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भगवान का होगा विशेष श्रृंगार –

बैसाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया (आखा तीज) से भगवान की पोशाक और उनका श्रृंगार भी बदल जाएगा। सतयुग एवं त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन से होने से इसे युगादि तिथि भी माना जाता है। इसलिए इस दिन भगवान का विशेष श्रृंगार के साथ उन्हें नूतन वस्त्र धारण कराए जाते हैं। साथ ही उन्हें ग्रीष्म ऋतु के अनुसार भोग सामग्री एवं शीतल जल प्रदान किया जाता है।

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