हर महीने पाएं 3,000 रुपये पेंशन जानें PM श्रम योगी मानधन योजना के फायदे और आवेदन प्रक्रिया
PM श्रम योगी मानधन योजना: प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना भारत सरकार की एक विशेष पेंशन योजना है, जो असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए शुरू की गई है। असंगठित क्षेत्र के मजदूर जैसे निर्माण मजदूर, रिक्शा चालक, ठेले वाले आदि के पास वृद्धावस्था के लिए पेंशन का कोई साधन नहीं होता। ऐसे में, यह योजना उन्हें वृद्धावस्था में एक स्थिर आय का सहारा देती है ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर रह सकें। आइए जानते हैं, इस योजना के अन्य लाभ, पात्रता और आवेदन की पूरी प्रक्रिया।
हर महीने 3,000 रुपये का पेंशन लाभ
PM श्रम योगी मानधन योजना के अंतर्गत पात्र मजदूरों को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3,000 रुपये की पेंशन मिलेगी। यह राशि उनके जीवनयापन में सहायक होगी और उन्हें वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इस योजना का उद्देश्य मजदूरों के बुजुर्ग अवस्था में उन्हें एक निश्चित आय देकर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
कैसे होता है मजदूर और सरकार का योगदान?
इस योजना में मजदूरों और सरकार दोनों का योगदान होता है। मजदूरों को 18 से 40 वर्ष की आयु के दौरान एक निश्चित राशि का योगदान हर महीने करना होता है, और सरकार भी उतनी ही राशि का योगदान उनके खाते में जमा करती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई मजदूर योजना में हर महीने 200 रुपये जमा करता है, तो सरकार भी 200 रुपये का योगदान करती है। इससे मजदूर को पेंशन के लिए जमा राशि बढ़ जाती है।
पात्रता – कौन कर सकता है आवेदन?
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना में सिर्फ वही मजदूर आवेदन कर सकते हैं जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम है। आवेदन के समय मजदूर की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए, और योजना में लगातार 20 वर्षों तक योगदान देना अनिवार्य है। इसके अलावा, आधार कार्ड और बैंक खाता होना भी जरूरी है।
PM श्रम योगी मानधन योजना में आवेदन प्रक्रिया
इस योजना में आवेदन करने के लिए मजदूर को नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाना होता है। वहां, उन्हें अपने आधार कार्ड और बैंक खाता विवरण के साथ पंजीकरण कराना होगा। सेंटर का कर्मचारी मजदूर की जानकारी ऑनलाइन रजिस्टर करेगा। इसके बाद, मजदूर को उनकी उम्र के अनुसार हर महीने एक निश्चित राशि का योगदान देना होता है, जो उनकी आयु के आधार पर तय होती है। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने पर मजदूर को पंजीकरण का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है, जिसमें उनके योगदान और योजना के सभी विवरण होते हैं।
मजदूर के योगदान की राशि उसकी उम्र पर निर्भर करती है। जितनी कम उम्र में योजना से जुड़ेंगे, उतनी ही कम राशि का मासिक योगदान देना होगा। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति 18 वर्ष की उम्र में योजना से जुड़ता है, तो उसे हर महीने लगभग 55 रुपये का योगदान देना होगा। इसी तरह, 30 वर्ष की उम्र में यह राशि लगभग 100 रुपये होगी। 40 साल की उम्र में योजना से जुड़ने वाले मजदूर को लगभग 200 रुपये का मासिक योगदान देना होगा।
योजना में 20 साल तक योगदान देने के बाद, 60 वर्ष की उम्र पर पहुंचने के बाद मजदूर को हर महीने 3,000 रुपये की पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।
यह योजना असंगठित मजदूरों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के पास आमतौर पर कोई पेंशन योजना या भविष्य निधि नहीं होती। यह योजना इन मजदूरों को भविष्य में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है ताकि उन्हें वृद्धावस्था में कोई वित्तीय समस्या न हो। इसके साथ ही, यह योजना सरकार के सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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