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Harda: हमने अवनी को अम्बर होते देखा है – पीड़ितजन का पैगम्बर होते देखा है – – मुकेश पांडेय

मुकेश पांडेय हरदा।

अवनी का अर्थ ही धरती होता है । अर्थ और earth को देखें तो हर तरफ अवनी ही नज़र आती है। चूंकि अवनी  बैरागढ़ ब्लास्ट पीड़ितजन को न्याय और मुआवजा राशि दिलाने हेतु 12 दिन से स्थानीय घंटाघर चौक पर पूज्य बापू की प्रतिमा के तले मुस्तैद हैं। ज़मीन पर टेंट लगाकर पीड़ितजनों के साथ उनको भूख हड़ताल करते हुए एक दर्जन दिन बीत चुके हैं।  उनके संघर्ष के चलते अभी 3 पीड़ितों को 15-15  लाख रुपए की राशि उपलब्ध हो चुकी है।  अवनी का मकसद मृतकों के परिजनों,  घायलों, बेघर हुए परिवारों तथा रोजगार से वंचित मजलूमो की आवाज़ बनकर उनको शासन प्रशासन से उनके हक की राशि दिलवाना है। साथ ही दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा दिलाने को लेकर भी वे प्रतिबद्ध हैं।  कई ऐसे सवाल जो अधिवक्ता अवनी ने उठाये हैं जिनके जवाब मप्र शासन -प्रशासन से अपेक्षित हैं। जवाब अभी तक लंबित हैं।

इस ब्लास्ट के बाद घटना स्थल पर पहुंचने  के बाद  हालात देखकर मन ही मन आहत अवनी ने शायद ये संकल्प ले ही लिया था कि वे सबको न्याय दिलवाने हेतु कोई कोर कसर न छोड़ेंगी।  व्यवस्था को सुधारने के लिए वो एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका में अपने कर्तव्य का पूर्ण निष्ठा से पालन कर रही हैं । जो जिम्मेदारी अवनी निभा रही हैं काश प्रशासन के नुमाइंदे बैरागढ़ में चल रही फेक्ट्री की जांच  करने और अवैध कारोबार रोकने में पहल दिखा पाते तो हरदवासियों को भीषण बारूदी भूकम्प की त्रासदी नहीं झेलना पड़ती ।

ये अवनी का अपने कर्तव्य के प्रति पूर्ण अनुराग ही है कि वे अपने सगे भाई के शादी समारोह के कार्यक्रम  को छोड़ भूख हड़ताल के पंडाल में ही सबके बीच मौजूद रहीं।

तीन दिन पहले जब रात में बारिश हो रही थी सब सुरक्षित जगह पर सोए थे। ऐसे में अपना घर ,सुख सुविधा छोड़ पीड़ितजनों के बीच न्याय के लिए घण्टाघर पर ज़मीन पर सोने वाली अवनी को लेकर  सुबह तक सोचता रहा ।

1 मार्च को अवनी का जन्मदिन भी आया जो बहुत खामोशी से व्यतीत हुआ। 
इस ब्लास्ट में घायल हताहत पीडितजनों के लिए अवनी ने जिस तरह से सर्वधर्म समभाव की भावना के साथ  हृदय भाव प्रकट किया वो अनुकरणीय है।  लाभ की राजनीति से बिल्कुल परे अवनी पंडाल में  मृतको के परिजन, घायलों और बेघरों के साथ एक सशक्त पालक की भूमिका में नजर आती हैं। मैंने बापू की प्रतिमा के नीचे अवनी को पीडितजन के सहृदय वैष्णवजन परिजन की भूमिका में देखा । अवनी का साथ पाकर सभी पीड़ितजन भी निश्चिंत नज़र आते हैं। ये ऐसी उपलब्धि है जिसे पाने लिए एक व्यक्ति  सम्पूर्ण जीवन काल में व्यथित नज़र आता है।

अवनी को प्रथम बार करीब दो दशक से अधिक समय पहले एलबीएस कॉलेज के कार्यक्रम में सुना। प्रतिभा को देखकर लगा कि ये  भविष्य में ज़रूर ऊंचाईयां  छुएगी।

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कन्याकुमारी से कश्मीर पद  यात्रा करने वाली अवनी को जब मैं सिर्फ पानी पीकर सबके हक़ में लगातार 12 वे दिन बैठा देखता हूँ तो उन्हें  एक सियासी सैनिक से इतर एक वीर योद्धा की तरह पाता हूँ ।

अवनी को 8 स्वर्ण मैडल प्राप्त होने की खबर सबसे पहले हिंदुस्तान टाइम्स प्रकाशित हुई।  मुझे भोपाल डेस्क पर यह खबर हरदा से प्रेषित करने का सौभाग्य मिला।

आज अवनी का संघर्ष देखकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस होता है।  अवनी के कांधे पर जो पीड़ित  बहन सिर रखती हैं  उन्हें एक भाई से ज्यादा भरोसा हासिल होता है। एक बच्चे के सिर पर जब अवनी का हाथ होता है तो वो अकेला नहीं होता। पूरे आसमान का भरोसा साथ होता है। किसी घायल भाई के कांधे पर अवनी का हाथ हो तो स्वतः ये भरोसा दिल को होता है कि चिंता मत कर मैं हूँ ना !

अवनी को इस संघर्ष के बाद अम्बर तक देवदूत के रूप में भी जाना जाएगा। सबके लिए अपनी खुशियां कुर्बान करने वाली अवनी और उनके सहयोगियों  को बार बार प्रणाम कर गौरव का अनुभव करता हूँ ।

हमने अवनी को अम्बर होते देखा है ।
पीड़ितजन का पैगम्बर होते देखा है ।।

नर्म बिछौना छोड़ त्याग सारी सुविधाएं
अवनी को  यूं धरती पर सोते देखा है ।।

अपने खातिर अश्क़ बहाती है दुनिया ,
गैरों की खातिर उसको रोते देखा है । “