हरदा : 5 आदिवासी परिवार जिस जमीन पर वर्षों से खेती करते आ रहे उनको किया बेघर, मालगुजार ने बेची जमीन, आदिवासी महिलाएं बोली या तो इंसाफ दिला दो नहीं तो दे दो जहर,न्याय नहीं मिला तो भोपाल सीएम के पास पैदल जायेगे !
महिलाएं बोली पूर्व सीएम शिवराज ने कहा था। 13 साल से जमीन पर रहते आए तो आदिवासी उसका मालिक होगा, बुजुर्ग बोला में तो 95 साल का हूँ। मेरी तीन पीढ़ियों से इस जमीन पर कब्जा है। बंजर जमीन को हमने उपजाऊ बनाया। बुजुर्ग का आरोप
मालगुजार ने राजस्व के अधिकारियों की साठगांठ से जमीन बेच दी। हमारी फरियाद तहसीलदार ने भी नहीं सुनी,
मकड़ाई समाचार हरदा। मंगलवार को जिला जनसुनवाई में मगरधा गांव के मुरलीखेड़ा के 5 आदिवासी परिवार के बुजुर्ग बच्चे महिलाएं अपनी फरियाद लेकर पहुंचे। पीड़ित आदिवासी परिवार ने अपने शिकायती आवेदन में बताया कि
कुछ लोग जबरजस्ती हमारी जमीन पर कब्जा कर जान से खतम करने की धमकी देने एवं झूठा फंसाने की धमकी दे रहे है। आदिवासी परिवार की महिलाओं का आरोप है कि पहले मालगुजार ने हमको यहां बसाया। हमारे पूर्वजों ने उनके यहां काम किया। अब जिस जमीन पर हमारे पूर्वज तीन पीढ़ियों से रहते आ रहे है। जिस बंजर भूमि पर हमने अपना खून पसीना बहाकर उसको उपजाऊ बनाया। अब मालगुजार की नियत बिगड़ गई। उसने हमें बेघर कर दिया। हमसे हमारी रोजी रोटी छीन ली। अब हमें कलेक्टर साहब न्याय दिलवा दो या फिर सभी को जहर दे दो। ये शब्द बुजुर्गों आदिवासी महिलाओं के थे। जो जिला जनसुनवाई में न्याय की गुहार लेकर हरदा आए थे।
क्या है पूरा मामला,,
आदिवासी गरीब किसानो में प्रार्थी मंशाराम पिता हीरालाल कोरकू मंशु पिता हीरलाल कोरकू, वासुदेव पिता हीरालाल कोरकू, विष्णु पिता संतु कोरकू, चिरोजी पिता भूता कोरकू सभी निवासी ग्राम मुरलीखेडा तहसील हरदा जिला हरदा के निवासी है। आदिवासी किसानो का आरोप है कि
हम लोगो के नाम से कृषिभूमि पटवारी हल्का नंबर 35 खसरा नंबर 313 रकवा 5.4580 हे० कुल 13 एकड 48 डिसमिल भूमि पर अभिनव पिता संतोष पारे निवासी मगरधा तहसील हरदा जिला हरदा ने बिना शासन की अनुमति के उक्त भूमि आदिवासीयो की होने के बाद भी राजस्व कर्मचारियो से मिलकर सांठगाठ करके अपने नाम करा ली है ।
आदिवासी समाज के शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उक्त भूमि गांव के अभिनव पारे ने सजा याप्ता आरोपी रौनक सोनकर रविन्द्रनाथ टैगोर वार्ड हरदा को विक्रय करने की बात बता रहा है।
और हमारी संपत्ति कृषि भूमि पर अभी हमारा कब्जा वर्षो से चला आ रहा है।
आदिवासी किसानो ने जिला कलेक्टर के नाम जो शिकायत की है । उसमें उनका आरोप है कि अभिनव पारे, रौनक सोनकर से मिलकर गुण्डा गर्दी कर हमे धमकाकर जान से खतम करने की धमकी देकर बल पूर्वक कब्जा करने के लिये प्रयासरत है।
उक्त बात की जानकारी हमे लगी तो हम सभी ने तहसीलदार महोदय हरदा को मिलने की कोशिश की तो
तहसीलदार महोदय हरदा ने हमे बाहर से ही लौटा दिया और हमे मिलने भी नही दिया।
आदिवासी किसानो का आरोप है कि ऐसा लगता है कि अभिनव पारे रौनक सोनकर ने राजस्व कर्मचारियो से सांठगांठ कर मनमाने तरीके से असत्य आधारो पर दस्तावेज तैयार करके म०प्र०भू०रा०स० के नियमो का उल्लघंन करके धारा 165 म०प०भू०रा०स० का पालन ना करते हुये असत्य आधार पर उक्त जमीन अपने नाम करा ली।
आदिवासी बुजुर्ग महिलाओं ने पत्रकारों से चर्चा में भी बताया कि आये दिन हमारे परिवार एवं गांव के लोगो को धमकी दे रहे कि कब्जा नही छोडा तो एक एक को काट कर फेक देगे।
तुम्हारे घरो मे आग लगा देगे तुम्हे किसी भी झूठे मामले मे फसा देगे हमारी सब दूर जान पहचान है हमारे पास पैसा है हमारा कोई कुछ नही बिगाड सकता है। हमने सारे राजस्व कर्मचारियो को एवं पुलिस थाना को खरीद लिया है वह सब हमारी मुट्ठी में है।
शिकायतकर्ताओं ने जिला कलेक्टर से मांग कर इंसाफ दिलाने की मांग की है। देखना होगा कि इस जमीन से जुड़े मामले में आगे क्या कार्यवाही होती है।
इधर सूत्रों की माने तो उक्त भूमि को सिराली के एक किसान के द्वारा खरीदी कर रजिस्ट्री की भी चर्चा है।
इनका कहना है।
आदिवासी परिवारों के आरोपों के संबंध में जब मकड़ाई एक्सप्रेस ने अभिनव पारे से उनका पक्ष जानना चाहा। तो उन्होंने कहा कि में अभी बाहर हूं। लेकिन आरोप झूठे हैं । वो जमीन हमारी पैतृक भूमि है। मेरे हिस्से में आई है। उस जमीन पर मेरे केसीसी भी बने हुए है। मैने जमीन रौनक सोनकर को एग्रीमेंट करके दो प्रतिशत पर दी है। अभी बेची नहीं है। आदिवासी परिवार के आरोप झूठे है।