राष्ट्रीय समाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के तहत केद्र सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनें वाले अभावों से जूझ रहे लोगो की मदद करना है। जिसके तहत बुजुर्ग विकलांग विधवा महिलाओं को समाजिक तौर सुरक्षा और आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसके लिए तमाम तरह की योजना कार्यक्रम चलाए जा रहे है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) भारत सरकार की एक केंद्र की योजना है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के वंचित वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। यह योजना 15 अगस्त 1995 को शुरू की गई थी।
योजना का उद्देश्य –
योजना के लिए सरकार का मुख्य उद्देश्य यह हैं कि देश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के वंचित लोगो को समाजिक व आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर उनकी गरीबी को दूर कर उन्हे विकास की मुख्यधारा में लाया जाए ओैर समाजिक समरसता,समाजिक न्याय और समानता मिले। वह भी विकास के तमाम आयामों में स्पर्श करें। उन्हे परिवार और समाज में उपेक्षित न किया जा सकें।
योजना का किसे मिलेगा लाभ –
वृद्धावस्था पेंशन के लिए बुजुर्ग की आयु 60 वर्ष से अधिक होने पर प्रति माह 2000रुपये दिए जाते है।विधवा पेंशन के लिए पात्र विधवा महिलाओ को प्रति माह 1000 रुपये दी जायेगी।विकलांग पेंशन के लिए पात्र विकलांग व्यक्ति प्रति माह 1000 रुपये दिए जाते है।राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रति प्रसव 6000रुपये दिए जाते है।अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीब बुजुर्ग प्रति माह 10 किलोग्राम मुफ्त गेहूं वितरित किया जाता हैं।
योजना के लिए पात्रता –
एनएसएपी के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए निम्न आवश्यक पात्रता है। आवेदक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा हो।आय प्रमाण पत्र जरुरी है। संबधित योजना का लाभ लेने के लिए संबधित प्रमाणपत्र भी हो। राज्य का मूलनिवासी भी हो। योजना के लिए आवश्यक शर्तो को पूरा करता हौं।
योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज –
- आयु प्रमाण
- निवास प्रमाण
- आय प्रमाण
- जाति प्रमाण (यदि आवश्यक हो)
- विकलांगता प्रमाण पत्र (यदि आवश्यक हो )
आवेदन पत्र की स्वीकृति / स्वीकृति ग्राम पंचायत नगरपालिका स्तर पर की जाती है। आवेदन पत्र स्वीकृत होने परए आवेदक को योजना के तहत लाभ प्राप्त होने लगेंगे।एनएसएपी को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया जाता है। योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी क्षेत्रों में नगरपालिकाओं द्वारा किया जाता है।