रानी दुर्गावती न केवल जनजातीय अपितु संपूर्ण भारत की नारी जाति की वीरता एवं साहस का प्रतीक हैं – कुमरे
देवास: गोंड समाज महासभा, शहर इकाई देवास द्वारा 461वां वीरांगना महारानी दुर्गावती बलिदान दिवस श्रम कल्याण केंद्र, बीएनपी परिसर में धूमधाम और गरिमामय वातावरण में मनाया गया। कार्यक्रम स्थल ‘रानी दुर्गावती अमर रहें’ के नारों से गूंज उठा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विक्रांत सिंह कुमरे (एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट), सदस्य कार्य परिषद् बरकतुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल एवं पूर्व कानूनी सलाहकार, जनजाति प्रकोष्ठ, राजभवन भोपाल, ने वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया।
इसके पश्चात बड़े देव की पूजा-अर्चना और आरती कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। कार्यक्रम की शुरुआत बड़े देव की स्तुति से हुई, जिसमें जिया, जीवा और भव्या ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियाँ दीं। मुख्य अतिथि श्री कुमरे ने अपने संबोधन में कहा कि रानी दुर्गावती का जीवन साहस, स्वाभिमान और नारीशक्ति की प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने 14 वर्षों तक सफलतापूर्वक स्वतंत्र शासन किया और मातृभूमि की रक्षा हेतु अपना बलिदान दिया। उन्होंने ये भी कहा कि इतिहास में जनजाति नायकों को वो स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे, ये हमारा सामूहिक भारतीय होने का कर्तव्य है कि ऐसे सभी बलिदानियों की वीर गाथा को याद किया जाए और आदिवासियों के गौरवशाली इतिहास पर गर्व किया जाए।
उन्होंने कहा कि आज की महिलाओं को रानी दुर्गावती से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहते हुए समाज, राजनीति और आर्थिक क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। गोंड समाज जिलध्यक्ष रामदेव सरलाम ने रानी दुर्गावती के शासनकाल का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि रानी का राज्य जबलपुर, नरसिंहपुर, दमोह, मंडला, छिंदवाड़ा एवं छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों तक फैला था। रानी दुर्गावती के बलिदान को याद करते हुए बताया गया कि मुगलों से युद्ध के दौरान जब वे गंभीर रूप से घायल हुईं और चारों ओर से घिर गईं, तब उन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए स्वयं तलवार घोंपकर वीरगति प्राप्त की।
कार्यक्रम में डॉ. सतीश उईके ने रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके साहस और बलिदान को नमन किया। मुख्य अतिथि विक्रांत कुमरे और श्री रामदेव सरलाम द्वारा चित्रकला एवं शैक्षणिक प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। कनक मर्सकोले ने गोंडी भाषा में महारानी दुर्गावती के जीवन पर प्रकाश डाला जबकि अनुष्का कवड़ेती ने विस्तार से उनके जीवन और शासन की जानकारी दी। कार्यक्रम के सफल आयोजन में महिला सदस्य श्रीमती रिंकू सरियाम, ईशा ठाकुर, ममता कवड़ेती, ममता इवने, नम्रता मरावी, मालती आहके, मनोरमा परते, माधुरी भलावी, पूनम मर्सकोले का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का संचालन राकेश कुमरे ने किया और आभार दियाल सिंह उईके ने व्यक्त किया। अध्यक्ष श्री डी एस उईके व डॉ. सतीश उईके के मार्गदर्शन में श्री ललित आहके, स्वतंत्र ठाकुर, सुनील इवने, कपिल परते, विनोद सरियाम, महेश टेकाम, अजब सिंह कुमरे, सुरेश कवडेती, गोविंद इवने, भानू प्रताप उईके, राहुल परते, नीलेश ऋषि, राहुल, पपलू, दक्ष, तनिष्क आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।