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हद कर दी आपने : भैरूदां के जंगलों में ‘हरियाली’ का कत्ल – सागौन की लकड़ियों से जल रही ईमानदारी, वन विभाग बना मूक दर्शक

मोहन गुर्जर  और/ आमीन मंसूरी की ग्राउंड रिपोर्ट

सीहोर/हरदा/ मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया मोहन यादव के कार्यकाल में किस प्रकार सागौन माफिया हरे भरे पेड़ो पर प्रहार कर कत्लेआम आम कर तस्करी कर रहा। गोडाउन में माल भर रहा है। बेच रहा है।
सरकार वनों के संरक्षण के लिए कागजों में करोड़ो रुपए खर्च कर रही। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की साठगांठ से अवैध कटाई और तस्करी का सिलसिला लगातार जारी है।

पिछले दो से तीन दिनों से लगातार मकड़ाई एक्सप्रेस इस सागौन माफिया की हर एक गतिविधि पर नजर रख रही है। अधिकारियों को तस्करी की सागौन जलाने की सूचना भी दी गई। लेकिन कार्यवाही नहीं हुई।
इतना ही नहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने भी चुप्पी साध ली। इसे क्या समझा जाए। क्या पूरे सीहोर जिले के अधिकारी जनप्रतिनिधि सागौन माफिया के आगे नतमस्तक है। जो कार्यवाही नहीं की जा रही है।
भैरूदां तहसील के जंगलों में इन दिनों हरियाली नहीं, साजिशें लहलहा रही हैं। सागौन जैसी बहुमूल्य और संरक्षित लकड़ी का अवैध व्यापार खुलेआम चल रहा है, और चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ वन विभाग की अनदेखी नहीं, बल्कि संभावित संरक्षण में हो रहा है। जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तब जंगलों का उजड़ना तय है।

सूचना दी गई, लेकिन पहुंची ‘सूचना’ माफिया तक!

सोमवार की रात 9:37 बजे, एक जागरूक नागरिक ने लाड़कुई रेंज के रेंजर प्रकाश चंद्र उइके को सोटिया गांव से लगे एक गोदाम में अवैध सागौन चिराई की सूचना दी।

महज 27 मिनट बाद, 10बजकर चार मिनट पर गोदाम से पिकअप वाहन फरार हो गया – कैमरे में कैद ये दृश्य अब सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। सवाल ये नहीं कि वन अधिकारी क्यों नहीं पहुंचे, सवाल ये है कि माफिया तक खबर कैसे पहुंची?

11:40 बजे तक नहीं पहुंचा विभाग – चलती रही सिल्लियां, जलता रहा विश्वास

रात 10:56 पर सीसीएफ राकेश खरे को भी सूचना दी गई। उन्होंने कहा – “मैं डीएफओ को बताता हूं।” लेकिन 11:40 बजे तक न कोई टीम पहुंची, न कोई रोक-टोक। गोदाम में सागौन की सिल्लियां बनती रहीं, और कानून मज़ाक बनकर धुएं में उड़ता रहा।

वन माफिया से सेटिंग की चर्चा, अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

सूत्रों की मानें तो रेंजर श्री उइके की वन माफिया से ‘मोटी डील’ हुई थी, जिसके चलते उन्होंने कार्रवाई से आंखें मूंद लीं। यदि इन अधिकारियों और माफियाओं के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स और CDR की जांच की जाए, तो सिस्टम की असली तस्वीर सामने आ सकती है – एक ऐसी तस्वीर, जो ईमानदारी के मुखौटे में छुपे भ्रष्ट चेहरे को बेनकाब कर दे।

गोदाम में ही नहीं, खेत में भी जलाई गई हरियाली

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गत दिनो जब नर्मदापुरम जिले की टीम ने कार्रवाई शुरू की, तो डर से माफियाओं ने भैरूदां के सोटिया गांव से लगे गोदाम के पास खेत में पेट्रोल डालकर सागौन की सिल्लियां और लट्ठे जला दिए। यह दृश्य कैमरे में कैद हुआ और वायरल हुआ – लेकिन सीहोर के वन अमले को सांप सूंघ गया।अमला अभी तक पता लगा कर कोई कार्रवाई नही कर पाया इतना ही नही सागोंन को चीरने काटने वाले आरे कि तस्बीर भी सामने आई।

गले-गले तक खिलाया है” – माफिया की धमकी बन रही सच्चाई!

सूत्रो का एक चौंकाने वाला दावा यह भी है कि सीहोर जिले का एक बड़ा माफिया खुलेआम कहता है – “मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता, मैंने गले तक पैसे खिला रखे हैं।” क्या ये बात सिर्फ डींग है, या अफसरों की चुप्पी इसका प्रमाण?

नर्मदापुरम की कार्रवाई बनी आईना – सीहोर की चुप्पी बनी शर्म

नर्मदापुरम की टीम ने जहां साहस दिखाया और 15 तस्करों को गिरफ्तार कर वाहन जब्त किया, वहीं सीहोर का पूरा वन अमला न सिर्फ नदारद रहा, बल्कि माफियाओं की हिफाजत में खड़ा दिखा। क्योंकि जिन 10 से ज्यादा गिरफ्तार तस्करों की पहचान हुई, वे सीहोर जिले के ही थे।

अब सवाल सरकार से – ये ‘हरियाली’ माफिया जला रहे हैं या आपके अफसर?

क्या मुख्यमंत्री, वन मंत्री और प्रमुख सचिव इस मामले को देखेंगे? क्या PCCF और CCF सच्चाई उजागर करने का साहस दिखाएंगे? या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन होकर रिश्वत की राख में बुझ जाएगा?

अब नहीं जागे तो जंगलों के साथ ईमानदारी भी जल जाएगी!
यह खबर सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं है, यह जंगल की कराह है, जो उन माफियाओं और अफसरों के गठजोड़ से उजड़ रहा है जिनका कर्तव्य था उसे बचाना।आप हमारे साथ लगातार वने रहे हम सीहोर जिले के वन माफिया और वन विभाग कि हकीकत से पर्दा उठाकर परत दर परत खबर दिखाते रहेगें मकड़ाई एक्सप्रेस के पास वन माफिया और भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी के गठजोड़ कि पूरी जन्मकुंडली है वने रहे लगातार……