हाल ही में नेपाल (Nepal) की संसद में विश्वासमत गंवाने के बाद केपी शर्मा ओली ने शुक्रवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। सदन में सोमवार को ओली के विश्वास मत हार जाने के बाद राष्ट्रपति ने विपक्षी पार्टियों को गुरुवार रात तक बहुमत के साथ नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने का समय दिया था। लेकिन विपक्षी पार्टियां नई सरकार बनाने के लिए संसद में बहुमत हासिल करने में विफल रहीं। इसके बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने CPN-UML के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली को फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इस तरह केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने शुक्रवार को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इससे पहले वो 11 अक्टूबर, 2015 से 3 अगस्त, 2016 तक और फिर 15 फरवरी, 2018 से 13 मई 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
बृहस्पतिवार तक, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर सशक्त उम्मीदवार माना जा रहा था। उन्हें सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ का समर्थन भी हासिल था। लेकिन ओली के साथ अंतिम वक्त में बैठक करने के बाद माधव कुमार ने अपना रुख बदल लिया। इससे देउबा का अगला प्रधानमंत्री बनने का सपना टूट गया।ओली को अब 30 दिन के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा, जिसमें विफल रहने पर संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत सरकार बनाने का प्रयास शुरू किया जाएगा। वैसे, ओली की अध्यक्षता वाली सीपीएन-यूएमएल 121 सीटों के साथ 271 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन सरकार बनाने के लिए उन्हें 136 सदस्यों का समर्थन जुटाना होगा।