कोरोना काल में शिक्षकों को नौकरी से निकालने के मामलें में,निजी स्कूल प्राचार्य के खिलाफ जमानती वारंट जारी
मा. हाई कोर्ट ने दो साल पहले एक जनहित याचिका में निर्देश दिए थे कि कोरोना काल में निजी स्कूल के शिक्षकों को न निकाला जाए। इसके बावूद शिक्षण संस्थान ने जून 2020 व 2021 में याचिकाकर्ता शिक्षकों को सेवा से हटा दिया। यही नहीं शिक्षकों को वेतन भी नहीं दिया गया।
मकड़ाई समाचार सतना |मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश के बावजूद हाजिर न होने पर सिंधु हायर सेकेंडरी स्कूल, सतना की प्राचार्य पलक नंदा के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सतना के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि वे 27 सितंबर को प्राचार्य की हाजिरी सुनिश्चित कराएं। वहीं हाई कोर्ट के निर्देश पर बुधवार को सिंधु नवयुवक समाज के अध्यक्ष श्रीचंद दौलतानी व सचिव अशोक बासानी हाजिर हुए। हाई कोर्ट ने दोनों को अगली सुनवाई के दौरान भी उपस्थित होने कहा है। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव मनोज झालानी, कलेक्टर सतना अजय कटसेरिया व डीइओ सच्चितानंद पांडे को भी जवाब प्रस्तुत करने निर्देश दिए गए हैं।
हाईकोर्ट के आदेश से बेखबर रहे जिम्मेदार अधिकारी
दो साल पहले एक जनहित याचिका में निर्देश दिए थे कि कोरोना काल में निजी स्कूल के शिक्षकों को न निकाला जाए। इसके बावूद शिक्षण संस्थान ने जून 2020 व 2021 में याचिकाकर्ता शिक्षकों को सेवा से हटा दिया। यही नहीं शिक्षकों को वेतन भी नहीं दिया गया।मा.हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराना संबंधित विभाग और जिले के जिम्मेदार अधिकारियों का होता है मगर उन लोगोे ने भी इस ओर ध्यान नही दिया प्रदेश के अनेक जिलों से इस प्रकार की खबर आती गई कि निजी स्कूलों से शिक्षको को निकाला गया है।जिससे उनके खाने के लाले भी पडे़ उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षक दुकानों पर सेल्समेन बनकर काम करता नजर आया तो कई जगह पर वह सब्जी का ठेला धकेल कर घर घर बेंचता दिखा।
इस प्रकार की घटना प्रदेश के कई निजी स्कूलों में हुई। निजी स्कूलों में शिक्षा दे रहे शिक्षको को कोरोना काल में निजी स्कूल संचालक एवं प्राचार्य ने उन्हे अघोषित छुट्टी दे दी या उन्हे स्कूल से निकाल दिया।इससे उन शिक्षको के घर पर रोजी रोटी का संकट आन पड़ा। स्कूल संचालको द्वारा किया गया ये कार्य अनुचित था। जो शिक्षक समर्पित भाव से सेवा दे रहे थें उन्हे अचानक संस्था द्वारा निकाला जाना एक दुर्भाग्य पूर्ण फैसला लिया था। जबकि कोरोना काल में स्कूल जिन बच्चो के एडमिशन थे।उनसे पूरी फीस की वसूली की गई। परीक्षा के बाद मार्कशीट और टीसी तभी दी गई जब तक पूरा शिक्षण शुल्क जमा नही कराया।जितने समय स्कूल नही लगा उसकी भी मनमानी फीस वसूली गई मगर परेशानी तो उन शिक्षको की हुई जिन्हे बेवजह निकाल दिया गया था। उनकी रोजी रोटी का संकट से निपटने के लिए उन्हे इधर उधर भटकना पड़ा। कई महिला टीचर के वाहनोे की किस्त सैलरी से कटती थी। अचानक वह सैलरी भी बंद हो गई सोचिए कितना मानसिक तनाव के दौर से गुजरा होगा वह परिवार ये सब मानवता के नाते हर एक व्यक्ति को सोचना चाहिएं जो हमारी संस्थान को सेवा दे रहा है तो उसके प्रति भी हमारी जबाबदारी है।
सतना से लगाई स्कूल के खिलाफ याचिका
याचिकाकर्ता सतना के महेश दत्त त्रिवेदी व आठ अन्य की ओर से अधिवक्ता एसपी मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने दो साल पहले एक जनहित याचिका में निर्देश दिए थे कि कोरोना काल में निजी स्कूल के शिक्षकों को न निकाला जाए। इसके बावूद शिक्षण संस्थान ने जून 2020 व 2021 में याचिकाकर्ता शिक्षकों को सेवा से हटा दिया। यही नहीं शिक्षकों को वेतन भी नहीं दिया गया। इस मामले में 25 अक्टूबर 2021 को अनावेदकों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद कोर्ट ने कई बार जवाब पेश करने मोहलत दी। पिछली सुनवाई 29 जुलाई, 2022 को हाई कोर्ट ने उक्त तीनों अनावेदकों को जवाब पेश करने अंतिम मोहलत दी थी