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देश की अर्थव्यवस्था को कृषि क्षेत्र ने संबल प्रदान किया है।-कृषि मंत्री श्री पटेल

मकड़ाई समाचार भोपाल। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति की साल में दो बार होने वाली 7 वी बैठक दिल्ली से शुरू हुई ।

ऑनलाइन होने वाली इस बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल वर्चुअली सम्मिलित हुए। इस बैठक में केंद्रीय मत्स्य ,पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपला एवं कृषि राज्य मंत्री शोभा कारंदलाजे और कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रदेश के कृषिमंत्री कमल पटेल ने केंद्रीय मंत्रियों , अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉक्टर त्रिलोकी महापात्रा और कृषि वैज्ञानिकों का मध्यप्रदेश के मुख्यमंन्त्री शिवराज सिंह की तरफ से स्वागत और अभिनंदन किया।
अपने उदबोधन में कहा कोरोना काल मे जब देश मे उद्योग धंधे, व्यापार सब बन्द थे तब एकमात्र कृषि का क्षेत्र खुला था , देश की अर्थव्यवस्था को कृषि क्षेत्र ने संबल प्रदान किया है। मध्यप्रदेश उन सौभाग्यशाली प्रदेशों में शामिल है जिसने 2011 से लगातार कृषि कर्मण अवार्ड विभिन्न श्रेणियों में हांसिल किया है हमारी कृषि वृद्धि दर राष्ट्रीय कृषि वृद्धि दर सेअधिक है लेकिन इसके बाद भी हमारी खेती घाटे का धंधा बनती जा रही है। मध्यप्रदेश को सोयाबीन स्टेट का दर्जा हासिल है और पिछले पांच वर्षों से सोयाबीन की फसल घाटे की खेती बनती जा रही है और सोयाबीन के प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन से अब लागत भी मुश्किल से निकल रही है ऐसे में अब सोयाबीन के नये और विकसित बीजो की आवश्यकता है जिससे सोयाबीन के तीस साल पुरानी किस्मो को बदल कर उत्तम गुणवत्ता वाली सोयाबीन के बीजो की किस्में विकसित किया जा सके। इस ओर कृषि वैज्ञानिकों को काम करने की आवश्यकता है।

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कृषि मंत्री ने आगे कहा कि किसानों को खेती के साथ पशुपालन, मत्स्य पालन इत्यादि अन्य विकल्पों को भी अपनाने की आवश्यकता है। नरवाई जलाने से भी मिट्टी का और पर्यावरण का नुकसान हो रहा है जिसके कारण उत्पादन पर असर पड़ता है वैज्ञानिकों को इसके विकल्प पर भी शोध करने की आवश्यकता है।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश उन सौभाग्य शाली प्रदेशो में है जहां देश मे सबसे ज्यादा 11 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती होती है जिसे और बढ़ाये जाने की ज़रूरत है। मध्यप्रदेश में वनवासी क्षेत्रो में बाई डिफॉल्ट ऑर्गेनिक भूमि है जिसमे पेस्टीसाइड का उपयोग नही होता है ऐसी भूमियों का सर्वे कराकर और जैविक प्रमाणीकरण कर के वनवासी किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है।

मेरा कृषि वैज्ञानिकों से अनुरोध है कि इस दिशा में भी काम करें ताकि प्रधानमंत्री जी का सपना हम जल्द से जल्द पूरा कर सके।सन्दीप अग्रवाल की रिपोर्ट