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पोप फ्रांसिस का बड़ा फैसला, यौन शोषण के आरोपी 2 पादरियों को किया बर्खास्त

केनवराः ईसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने नाबालिगों के साथ यौन शोषण के आरोप में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने चिली के दो बिशपों को चर्च में पादरी पद से बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं। पोप और चिली के राष्ट्रपति के बीच मुलाकात के बाद वेटिकन ने इस संबंध में जानकारी दी है। बयान में कहा गया कि पूर्व आर्कबिशप फ्रांसिस्को जोस कॉक्स हुनीयस और पूर्व बिशप मार्को एंटोनियो फर्नांडीज को बर्खास्त करने के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है। दोनों को ‘नाबालिगों के खिलाफ दुर्व्यवहार करने के कृत्यों के परिणामस्वरूप’ चर्च में पादरी की भूमिका निभाने से हटा दिया गया है।
पद से हटाना सबसे सख्त सजा 
बयान में कहा गया कि पूर्व आर्कबिशप फ्रांसिस्को जोस कॉक्स हुनीयस और पूर्व बिशप मार्को एंटोनियो फर्नांडीज को बर्खास्त करने के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है। दोनों पर यौन शोषण के आरोप होने के कारण चर्च के पादरी की भूमिका निभाने से हटा दिया गया है। गौरतलब है कि चर्च में पादरी के पद से हटाना किसी भी पादरी के लिए सबसे सख्त सजा होती है।इसका मतलब है कि अपराधी किसी धार्मिक गतिविधि में, यहां तक कि निजी तौर पर भी शामिल नहीं हो सकता।
राष्ट्रपति से मुश्किल स्थिति’ पर बातचीत
गौरतलब है कि चिली में नाबालिगों के यौन शोषण के करीब सैंकड़ों केस दर्ज हुए जिनमें पादरी मुख्य आरोपी हैं जिसके बाद कैथोलिक चर्च में संकट गहराते जा रहा है।पोप और चिली के राष्ट्रपति के बीच मुलाकात के  दौरान वहां की ‘मुश्किल स्थिति’ पर बातचीत की गई।
167 बिशप, पादरी और चर्च के सदस्य जांच के घेरे में 
दक्षिण अमेरिकी देश में साल 1960 से लेकर अब तक कुल 167 बिशप, पादरी और चर्च के सदस्य यौन अपराधों की जांच के घेरे में हैं। वेटिकन ने एक बयान में कहा कि उन्होंने नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार की दुख:द घटनाओं पर चर्चा की तथा ऐसे अपराधों को होने से रोकने तथा इनके खिलाफ लड़ने में सम्मिलित प्रयासों पर जोर दिया। दक्षिण अमेरिकी देश में साल 1960 से लेकर अब तक कुल 167 बिशप, पादरी और चर्च के सदस्य यौन अपराधों की जांच के घेरे में हैं।