नई दिल्ली। बजट पूर्व उम्मीदों के एक सर्वेक्षण में फार्मास्युटिकल उद्योग में निवेश को और अधिक आकर्षक बनाने की बढ़ती मांग को दिखाया गया है। ग्रांट थॉर्नटन भारत सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश लोगों ने कहा कि सरकार को बायो-फार्मास्युटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों पर ध्यान देने के साथ पीएलआई योजना में परिव्यय बढ़ाना चाहिए।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योग को उम्मीद है कि नवाचार और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) प्रमुख निवेश चालक होंगे। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 35(2एबी) के तहत कटौती के उच्च प्रतिशत की बहाली अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करेगी।
विशेष रूप से 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं को आरएंडडी व्यय के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 35(2एबी) के तहत कटौती के उच्च प्रतिशत की बहाली की उम्मीद है। इसके अलावा, 81 फीसदी को उम्मीद है कि फार्मास्युटिकल उत्पादों को आरओडीटीईपी योजना में शामिल किया जाएगा।
निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) योजना के तहत कुछ दवा उत्पादों को शामिल करना, डॉक्टरों को दिए गए मुफ्त नमूनों की कटौती के आसपास के नियमों में संशोधन और नैदानिक परीक्षणों और अनुसंधान पर कम वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) दर गतिविधियां स्वागत योग्य कदम होंगी।
ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और सेक्टर लीडर- फार्मा एंड हेल्थकेयर भानु प्रकाश कलामथ एसजे के अनुसार, भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग ने महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पीएलआई योजनाओं के तहत बढ़ा हुआ परिव्यय और निर्यात और अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण को और आगे बढ़ाएगा और एक प्रमुख दवा आपूर्तिकर्ता के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करेगा।