मकड़ाई एक्सप्रेस झारखंड | राजधानी रांची से 80 किलोमीटर दूर रजरप्पा में माता छिन्नमस्तिका का भव्य मंदिर है. इसी मंदिर की तर्ज पर मुजफ्फरपुर में भी मां छिन्नमस्तिका का मंदिर कांटी में बनाया है. कहा जाता है जो लोग किसी कारण से अगर रजरप्पा जाकर मां छिन्नमस्तिका का दर्शन नहीं कर पाते हैं, तो वे लोग मुजफ्फरपुर में भी माता का दर्शन कर सकते हैं| यहां माता काली का रौद्र रूप स्थापित है. जिसमें माता अपने कटे हुए सर को अपने हाथ में रखे हुए हैं और सर से रक्त की प्रवाह निकल रही है, जिसे दो जोगनी पी रही है| मंदिर में माता के युद्ध भूमि के रूप को दिखाया गया है|जिसमें राक्षसी शक्तियों से लड़ने के बाद माता अपने भूखे प्यासे जोगनी को अपना ही सिर काटकर अपना रक्त सेवन करा रही है।
मां छिन्नमस्तिका मंदिर के संदर्भ में पुजारी मुकेश प्रियदर्शी बताते हैं कि महात्मा आनंद प्रियदर्शी ने इस मंदिर की स्थापना की थी. उन्होंने बताया कि लंबे समय तक महात्मा आनंद प्रियदर्शी ने मां छिन्नमस्तिका की आराधना की, तो माता से प्रेरणा मिली की मुजफ्फरपुर में उनका मंदिर बनवाया जाए. फिर बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद महात्मा आनंद प्रियदर्शी ने सोचा कि बिहार के लोगों को माता का दर्शन के लिए झारखंड के रजरप्पा जाना पड़ता है| इसलिए बिहार में भी माता का मंदिर स्थापित किया जा| इसी सोच से 11 जून वर्ष 2000 में ही महाराज जी ने मंदिर की स्थापना की. जिसमें रजरप्पा से माता का त्रिशूल पूजा कर के लाया गया और यहां स्थापित किया गया|रजरप्पा वाले माता के मुख्य मंदिर में बलि प्रथा है, लेकिन कांटी स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर में बलि नहीं दी जाती है| यहां सिर्फ नारियल चढ़ाया जाता है|