मकड़ाई समाचार जबलपुर। सात साल के मासूम बालक पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। वह महज चार साल का था जब रिक्शा चालक पिता की मौत हो गई थी, और अब मां की भी सांस टूट गई। गुरुवार- शुक्रवार दरम्यानी रात मां ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अंतिम सांस ली। मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर ने मासूम बालक को सहारा दिया और तिलवारा मुक्तिधाम में उसकी मां केशव का अंतिम संस्कार कराया।
मजदूरी करने आई थी जबलपुर: प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि दुर्ग भिलाई निवासी पार्वती मरकाम (40) के पति की तीन साल पहले मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद पार्वती बेसहारा हो गई। इसके बाद वह अपने बेटे भानु प्रताप को लेकर मजदूरी करने जबलपुर आ गई। मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में यहां-वहां बेटे को लेकर पड़ी रहती और मजदूरी कर अपना व बेटे का पेट भरती थी। विगत दिवस पार्वती की तबियत खराब हो गई थी। उसे मेडिकल में भर्ती कराया गया था। वार्ड क्रमांक 16 में भर्ती पार्वती बेटे भानु को छाती से लगाए रहती थी।
बेटे को लगा कि मां का उपचार हो रहा है: गुरुवार देर रात पार्वती की मौत के बाद भी भानु यही समझ रहा था कि उसकी मां का उपचार हो रहा है। मेडिकल कर्मचारी शव को लेकर पोस्टमार्टम कक्ष पहुंचे, भानु वहां भी बैठे-बैठे यही सोच रहा था कि मां का उपचार किया जा रहा है और वह जल्द स्वस्थ हो जाएगी। पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर बैठे मासूम पर मोक्ष संस्था के आशीष की नजर पड़ी, इसके बाद उन्होंने पार्वती के शव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराई।
गांव में कोई नहीं, ननिहाल का पता नहीं: भानु ने बताया कि दुर्ग भिलाई स्थित गांव में उसके स्वजन का पता नहीं है। उसे यह जानकारी नहीं कि उसके घर में कौन-कौन है जिसके भरोसे वह गांव में रह पाए। वहीं बस्तर स्थित उसके ननिहाल में नाना रहते हैं लेकिन वहां का पता व नाना का नाम उसे नहीं मालूम। आशीष ठाकुर ने बताया कि पार्वती के शव के अंतिम संस्कार के बाद भानु को रैन बसेरा में रखा गया है।