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संजय ने अमेजन मित्रा और फ्लिपकार्ड कि शर्ते मानने से किया इंकार, अपने दम पर विदेशों तक पहुँचाया कारोबार

750 रुपये की मजदूरी पर साड़ी बनाने का करते थे काम, उद्यमिता के प्रशिक्षण ने बदल दिया कारोबार का नजरिया

मकड़ाई समाचार खरगोन। ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते दौर में कंपनियां जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ड और मित्रा स्थानीय बुनकरों से जुड़कर अपना व्यापार बढ़ाने में दिलचस्पी दिखा रही है। निसंदेह हर शख्स इन कंपनियों से जुड़कर अपने कारोबार की प्रसिद्धि और लाभ कामना चाहता है। लेकिन महेश्वर का एक बुनकर है जो इन कंपनियों की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया है। आज वो खुद के दम पर यूएसए, मलेशिया और ओमान जैसे देशों में महेश्वरी साड़ियों का घर बैठे कारोबार कर रहा है। महेश्वर की अहिल्या विहार बुनकर कॉलोनी में रहने वाला संजय पंवार 1994-95 में 8 साड़ियां 750 रु मजदूरी पर बनाता था। आज यही संजय अपने लिए साड़ी बनाने वाले बुनकरों को 11 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक मासिक मेहनताना देता है। संजय ने लॉकडाउन से ठीक पहले भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान द्वारा महेश्वर के निजी होटल में प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद लॉकडाउन में देश के सारे दरवाजे बंद हो गए। ऐसे समय में संजय ने अपने घर से अपना कारोबार फैलाया।

ईडीआईआई के प्रशिक्षण ने बदला व्यापार का नजरिया

संजय ने बताया कि इस प्रशिक्षण में अगर वो शामिल नही होते तो आज भी वे किसी के लिए 750 रुपये पर मजदूरी करते रहते। लेकिन इस प्रशिक्षण में सोशल मीडिया से व्यापार को नया आयाम मिला है। इस प्रशिक्षण में सोशल मीडिया प्लेटफार्म की लोगो तक पहुँच, व्यापार के रूप में उपयोगिता के अलावा प्रोडक्ट फोटोग्राफी, रंगों का चुनाव, डिजाइन फोटोग्राफी, सोशल मीडिया एवं डिजिटल मार्केटिंग का सफल प्रशिक्षण आयोजित हुआ। यही वो समय था जब संजय ने व्यापार को बढ़ावा देने वाली तकनीकें सीखी। आज संजय भारत के कई महानगरों के अलावा मलेशिया यूएसए और ओमान जैसे अन्य देशों में महेश्वरी साड़ियां भेज रहे है। इनकी सालाना शुद्ध आय 2.50 से 3 लाख रुपये तक है।

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केवल कॉटन नही मलबरी सिल्क की साड़ियाँ बनाने में हुए कामयाब

संजय अपने घर पर ही अपने माँ और पिताजी के साथ साड़ियों का काम करते है। साथ ही वे अब 8 मजदूरों को साथ लेकर व्यवसाय कर रहे है। इसमें संजय खादी सिल्क, कॉटन बॉय कॉटन, सिल्क बॉय कॉटन और मलबरी सिल्क की साड़ियाँ, पेंट-शर्ट्स, कुर्ता और शॉल का निर्माण कर रहे है। वर्ष 2020 में अमेजन, फ्लिपकार्ड और मित्रा ने उनके प्रोडक्ट देख संपर्क किया। लेकिन उनकी शर्ते संजय को ठीक नही लगी और उनके साथ व्यापार करने से इंकार कर दिया।

एक्सिबिशन और फैशन शो में महेश्वरी साड़ी ने मचाई धूम

संजय ने बताया कि इआईआईडी द्वारा पिछले वर्षों में न सिर्फ प्रशिक्षण दिया बल्कि गुजरात के सुरेंद्रनगर, भुज, बाग, उज्जैन, भोपाल इंदौर और नागपुर एक्सपोजर विजिट कराया गया। इसके अलावा एक्सिबिशन के लिए दिल्ली, बंगलोर, बॉम्बे, भुवनेश्वर के अलावा 25 से अधिक स्थानों पर और नागपुर व भोपाल में फैशन शो में महेश्वरी साड़ियों की विविध डिजाइन को सराहना मिलने के बाद संजय सहित महेश्वर के बुनकरों का व्यापार में बढ़ोत्तरी हुई।

ईडीआईआई के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर श्री सुरेंद्र जैन ने बताया कि भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान हथकरघा वस्त्र उद्योग के 6 महत्वपूर्ण क्लस्टर्स बुनकरों के लिए कई प्रोग्राम आयोजित कर बढावा देने की दिशा में काम कर रहा है। इसमें कैपेसिटी बिल्डिंग, डिजिटल मार्केटिंग, एक्सपोर्ट, सॉफ्ट स्किल्स, मार्केट लिंकेज, क्रेडिट लिंकेज, क्रॉफ्ट मेले, प्रदर्शनिया और एक्सपोजर विजिट के साथ राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण आयोजित कराता है। देश के 6 क्लस्टर्स महेश्वर, कामरूप (आसाम), सेलम (तमिलनाडु), बरगढ़ (ओडिसा), सुरेंद्रनगर व भुज (गुजरात) है। ईडीआईआई ने महेश्वर में 2019 से प्रोग्राम शुरू किए है। इसके अंतर्गत महेश्वर व कसरावद के करीब 10 गांव में ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित हुए है। प्रोग्राम कॉर्डिनेटर श्री जैन ने बताया कि वर्ष 2020-21 में लॉकडाउन के दौरान करीब 18 लाख रुपये का महेश्वरी हैंडलूम मटेरियल बैंगलोर और कोलकाता में बेंचा गया है। साथ ही महेश्वर में ईडीआईआई से जुड़े बुनकरों का दो वर्षों में 1.85 करोड़ रुपये की महेश्वरी साड़ियाँ और महेश्वरी हैंडलूम मटेरियल बेंचा है। महेश्वर में अभी 936 बुनकर जुडे है जिन्हें समय-समय पर आयोजित प्रशिक्षणों और अन्य गतिविधियों में शामिल का व्यवसाय निखारने का काम किया जा रहा है।