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सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा के आसपास से हटें टीनशेड, नाम पट्टिया को ढका जाए

मकड़ाई समाचार ग्वालियर। चिरवाई नाके पर स्थापित सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर विवाद लगातार जारी है। सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर जांच कमेटी गठित करने के बाद अब मामला हाईकाेर्ट ग्वालियर तक पहुंच गया है, बावजूद विवाद थम नहीं रहा है। बुधवार को इस संबंध में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा द्वारा गांधी रोड स्थित होटल में पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। जिसमें क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारियों ने कहा कि- हाईकाेर्ट ग्वालियर युगल पीठ द्वारा सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नीचे नामकरण पट्टिका को पूर्णतः ढकने का निर्देश दिए गए हैं। जिसमें कहा गया कि “सम्राट मिहिर भोज” की प्रतिमा आम जनमानस के दर्शनार्थ खुली रखी जाए, जिससे कि सर्व समुदाय के लोग मिहिर भोज के शौर्य और पराक्रम से प्रेरणा ले सकें।

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अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री इं. राजेंद्र सिंह भदौरिया एवं राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से मांग की है कि कोर्ट के निर्णय को अमल में लाते हुए केवल नाम पट्टिका को ढका जाए और प्रतिमा के चारों ओर लगाई गई टीन शेड के घेरे को हटाया जाए। पूर्व में क्षत्रिय महासभा संयुक्त मोर्चा द्वारा कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह एवं आयुक्त नगर निगम ग्वालियर को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा से ‘गुर्जर शब्द हटाने एतिहासिक तथ्य देने हेतु विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया था। महासभा का आरोप है कि नगर निगम के ठहराव क्रमांक 55 दिनांक 14 दिसंबर 2015 में स्पष्ट उल्लेख है कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित करने की स्वीकृति तत्कालीन परिषद द्वारा प्रदान की गई थी, लेकिन स्वीकृति के दौरान “गुर्जर” शब्द का कहीं भी उल्लेख नहीं है। महासभा के जिला अध्यक्ष रघुराज सिंह तोमर, रामकुमार सिंह सिकरवार, गोपाल सिंह तोमर एवं राज कारण सिंह भदौरिया ने बताया कि नगर निगम में प्रतिमा स्थापना के लिए प्रेषित पत्र के साथ विकिपीडिया सर्च इंजन से लिए गए तथ्य पूर्णतः भ्रामक हैं। क्योंकि विकिपीडिया में इन तथ्यों को किसी के भी द्वारा संशोधित किया जा सकता है। अतः यह बनावटी होकर अविश्वनीय भी है। अतः इसको एतिहासिक तथ्य के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।